जमैका की एक गंदी बस्ती में पली-बढ़ी शैली एन. फ्रेजर के ओलिम्पिक फर्राटा चैम्पियन बनने का श्रेय स्थानीय पुलिस और उनकी माँ के बीच हमेशा तनावपूर्ण रहे संबंधों को भी जाता है, जिसने बचपन से ही उन्हें तेज भागना सिखा दिया था।
बीजिंग ओलिम्पिक में सौ मीटर चैम्पियन बनी शैली की माँ मैक्सिन फ्रेजर अपनी बेटी के साथ जमैका की तंग बस्ती में रहती थीं।
मैक्सिन अपने परिवार का पालन-पोषण सड़कों पर रेहड़ी लगाकर करती थीं और पुलिस के आने पर उसे अपना सामान समेटकर तेजी से भागना पड़ता था। यही गुण शैली ने भी सीखा।
अपनी बेटी को स्वर्ण पदक जीतते देखने के बाद मैक्सिन ने कहा कि इससे साबित होता है कि कोयले की खान में से 'हीरा' भी निकलता है। जहाँ चाह होती है, वहाँ राह भी होती है।
फ्रेजर के लिए ओलिम्पिक में मिली कामयाबी गरीबी से बाहर निकलने की सीढ़ी है। उनका परिवार अभी भी जमैका की तंग बस्तियों में से एक वाटर हाउस में किराए के मकान में रहता है। इस इलाके में सड़कें खराब हैं और अपराध दर काफी ज्यादा है।
शैली हालाँकि अब वाटर हाउस में नहीं रहतीं। वे यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में दूसरे वर्ष की छात्रा हैं। हाईस्कूल में उनके कोच रहे माइकल ओलिवियरा ने कहा कि स्कूल में अधिकांश लोग ट्रैक का इस्तेमाल छात्रवृत्ति पाने के लिए करते हैं, लेकिन इससे आगे भी बहुत कुछ है। यदि एथलीट समर्पित हो तो उसके परिणाम मिलते हैं।
ऐसा अनुमान है कि पुरुषों की सौ मीटर दौड़ में अपने हमवतन उसैन बोल्ट से हारे असाफा पावेल ने 2006 में ट्रैक से 10 करोड़ डॉलर कमाए।
फर्राटा में जमैका के बढ़ते दबदबे को देखते हुए दुनिया का ध्यान इस कैरेबियाई देश पर गया है, लेकिन इसके धावकों की कामयाबी पर अँगुलियाँ भी उठी हैं। कैरेबियाई क्षेत्र के डोपिंग निरोधक संगठन के प्रमुख एड्रियन लोर्डे ने हाल ही में कहा था कि जमैका डोपिंग टेस्ट के पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है।
स्थानीय लोगों का हालाँकि कहना है कि जमीकंद, केले और फलों के अधिक सेवन से इसके धावकों की ताकत बढ़ी है।