भारतीय हॉकी टीम का लंदन ओलिंपिक में शर्मनाक प्रदर्शन आज यहां 11वें और 12वें स्थान के प्ले ऑफ में भी बदस्तूर जारी रहा। जिसमें उसे दक्षिण अफ्रीका की कमजोर टीम से 2-3 से हार का सामना करना पड़ा।
भारतीय टीम इस तरह से 12वें और अंतिम स्थान पर रही जो आठ बार के चैंपियन का ओलिंपिक में सबसे बेकार प्रदर्शन है। भारतीय टीम ने लंदन में अपना प्रत्येक मैच गंवाया। ओलिंपिक में ऐसा पहली बार हुआ, जबकि भारत कोई भी मैच नहीं जीत पाया।
इससे पहले ओलिंपिक में टीम का सबसे बेकार प्रदर्शन 1996 अटलांटा ओलिंपिक में था। तब वह आठवें स्थान पर रही थी। इसके अलावा भारत बीजिंग ओलिंपिक 2008 के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया था।
दक्षिण अफ्रीका के लिए एंड्रयू क्रोन्ये ने आठवें मिनट में ही गोल दागकर अपनी टीम को बढ़त दिला दी। संदीप सिंह ने 14वें मिनट पेनल्टी कार्नर पर गोल करके भारत को बराबरी दिलाई। टिमोथी ड्रमंड ने 34वें मिनट में मैदानी गोल किया, जिससे दक्षिण अफ्रीका मध्यांतर तक 2-1 से आगे था।
लायड नोरिस जोन्स ने अंतिम हूटर बजने से पांच मिनट पहले यह 3-1 कर दिया। धर्मवीर सिंह ने इसके दो मिनट बाद 67वें मिनट में गोल दागा, लेकिन इससे भारत हार का अंतर ही कम कर पाया।
भारत की इस हार ने 1986 में लंदन में हुए विश्व कप की यादें ताजा हो गईं। उस समय भी भारत 12 टीमों के टूर्नामेंट में आखिरी स्थान पर रहा था। तब प्लेऑफ में उसे पाकिस्तान ने हराया था।
उम्मीद थी कि टूर्नामेंट की सबसे कमजोर मानी जा रही टीम दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय अच्छा प्रदर्शन करके आखिरी स्थान पर आने से बचने की कोशिश करेंगे लेकिन फिर से रक्षापंक्ति और अग्रिम पंक्ति की कमजोरियां खुलकर सामने आईं।
यह पहला अवसर है जबकि भारत ओलिंपिक जैसे किसी बड़े टूर्नामेंट में दक्षिण अफ्रीका के हाथों पराजित हुआ। भारत को मैच में चार पेनल्टी कार्नर मिले जिसमें से वह केवल एक पर गोल कर पाया। उसने इसके अलावा दस शॉट गोल पर जमाए, लेकिन इनमें से केवल एक पर ही गोल हो पाया।
दूसरी तरफ दक्षिण अफ्रीका ने 11 बार भारतीय गोल पर हमला किया और इनमें से तीन बार वह गोल करने में सफल रहा। भारत लंदन ओलिंपिक में एक भी मैच नहीं जीत पाया। उसे ग्रुप बी में हॉलैंड ने 3-2, न्यूजीलैंड ने 3-1 से, जर्मनी ने 5-2 से, दक्षिण कोरिया ने 4-1 और बेल्जियम ने 3-0 से हराया था। (भाषा)