ओशो रजनीश ने कबीर पर बहुत कुछ कहा, उनके प्रवचनों पर ही आधारित कई पुस्तकों का निर्माण हुआ। जैसे 'कहे कबीर दिवाना', 'सुनो भाई साधो', 'लिखा लिखी की है नहीं', 'गूंगे केरी सरकरा', 'कहै कबीर मैं पूरा पाया' 'कबीर वाणी' आदि कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। ओशो कहते हैं कि संत कई हुए हैं, लेकिन कबीर मानो पूर्णिमा का पूरा चांद। साधारण भाषा के असाधारण संत कबीर दास पर ओशो के प्रारंभिक प्रवचनों के अंश यहां प्रस्तुत हैं।