* फुलहरा का हरतालिका पूजन में महत्व
* 24 घंटे का हरतालिका व्रत, सुहागिनें रखेंगी निर्जला उपवास
इस दिन घरों में गुजिया, पपड़ियां बनती हैं, तो बाजार में भी फुलहरा और गौरा-पार्वती की मूर्ति और पूजन-सामग्री से सजा रहता है। यह व्रत सिर्फ महिलाएं ही नहीं, स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाली लड़कियां भी निर्जल व्रत रखती हैं।
तीजा व्रत करने के लिए सभी के मन में बहुत उत्साह होता है। कुछ महिलाओं को तो यह व्रत रखते-रखते 40-50 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी वे उसी श्रद्धाभाव के साथ माता पार्वती की पूजा की करती है, रात्रि जागरण करके निर्जल व्रत रखती है।
* चिलबिनिया, नवकंचनी, नवबेलपत्र, सागौर के फूल, हनुमंत सिंदूरी, शिल भिटई, शिवताई, वनस्तोगी।
* हिमरितुली, लज्जाती, बिजिरिया, धतूरे का फूल, धतूरा, मदार, त्तिलपत्ती।
* बिंजोरी, निगरी, रांग पुष्प, देवअंतु, चरबेर, झानरपत्ती, मौसत पुष्प, सात प्रकार की समी।
प्राकृतिक फुलहरा (फुलेरा) का महत्व :-
पुराणों में वर्णित हरतालिका व्रत में जिन प्राकृतिक फूल-पत्तियों और जड़ी-बूटियों का वर्णन किया गया है, उन्हीं चीजों का उपयोग करके फुलहरा बनाया जाता है।