1. सिंध प्रांत के हिन्दुओं को मुस्लिम अत्याचार से बचाने के लिए ही इनका अवतार हुआ था। यह एक चमत्कारिक संत थे। झुलेलालजी को जिन्दपीर, लालशाह, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल, उदेरोलाल, घोड़ेवारो भी कहते हैं।
3. सिंध प्रांत के हिन्दुओं जिन्हें सिंधी कहा जाता है, उनके लिए चेटीचंड सबसे बड़ा पर्व है। भगवान झूलेलाल का अवतरण इसी दिन हुआ था। जो भी 4 दिन तक विधि- विधान से भगवान झूलेलाल की पूजा-अर्चना करता है, वह सभी दुःखों से दूर हो जाता है। कुछ लोग झूलेलाल चालीहा उत्सव मनाते हैं। अर्थात 40 दिन तक व्रत उपवास रखते हैं।
4. पाकिस्तान के नसरपुर में झूलेलाल का प्रसिद्ध समाधी मंदिर है। हालांकि यह मंदिर अब दरगाह के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। यहां दुनियाभर से लोग आकर माथा टेकते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। इन्हें मुस्लिम लोग 'जिन्दह पीर' और हिन्दू लोग 'प्रभु लाल साईं' कहते हैं। इन्हें मुसलमान ख्वाजा खिज्र जिन्दह पीर के नाम से पूजते हैं।
जन्म से ही चमत्कारिक बालक होने की प्रसिद्धि के चलते मिरक शाह को लगा कि यह बालक संभवत: मेरी मौत का करण बन सकता है। अत: शाह ने उदयराज को समाप्त करवाने की योजना बनाई। शाह दल-बल सहित उदयराज को मारने के लिए निकले ही थे लेकिन उदयराज ने अपनी दिव्य शक्ति से शाह के महल में आग का कहर बरपा दिया और शाह की सेना बेबस हो गई। सेनापतियों ने देखा कि सिंहासन पर 'लाल उदयराज' बैठे हैं। जब महल भयानक आग से जलने लगा तो बादशाह भागकर 'लाल उदयराज' के चरणों में गिर पड़ा। 'लाल उदयराज' की शक्ति से प्रभावित होकर ही मिरक शाह ने शांति का रास्ता अपनाकर सर्वधर्म समभाव की भावना से कार्य किया और बादशाह ने बाद में उनके लिए एक भव्य मंदिर भी बनाकर दिया था।