इस दिन को आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन कद्दू दान करने से और आंवले के वृक्ष का पूजन करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इस दिन दिए गए दान का जन्म-जन्मांतर तक क्षय नहीं होता है। आंवला नवमी के दिन श्रद्धालुओं द्वारा विशेष तौर पर ब्राह्मणों को कुम्हड़ा (कद्दू) दान किया जाता है। मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन ब्राह्मणों को बीजयुक्त कुम्हड़ा दान करने पर कुम्हड़े की बीज में जितने बीज होते हैं, उतने ही साल तक दानदाता को स्वर्ग में रहने की जगह मिलती है।