Masik Krishna janmashtami: वर्ष 2024 में 27 जुलाई, दिन शनिवार को सावन मास का मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाया जा रहा है तथा उदयातिथि के मान से 28 जुलाई, रविवार को भी कालाष्टी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाया जाने की संभावना है।
महत्व : भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ है। अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। और मान्यता के अनुसार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि श्री कृष्ण की जन्म तिथि है। जो कि प्रत्येक माह पड़ती है, इसी कारण हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। इस अवसर पर भगवान श्री कृष्ण का विशेष पूजन किया जाता है।
हर माह आने वाली इस तिथि पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाकर बालरूप कान्हा का पूजन करके हर मनोकामना पूरी की जा सकती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मथुरा नगरी का राजा कंस था, जो कि बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा।
यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेवसहित काल-कोठारी में बंद कर दिया। कंस ने देवकी के पुत्र कृष्ण के जन्म से पहले के 7 बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्री कृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान श्री विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे कृष्ण को गोकुल में नंद बाबा और यशोदा माता के पास पहुंचा आएं, जहां अपने मामा कंस से वह सुरक्षित रह सकेगा। अत: श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। श्री कृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। इसी कारण उनके जन्म की खुशी में हर माह कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है।
श्रावण कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 27 जुलाई को रात 09:19 मिनट से।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी तिथि का समापन- 28 जुलाई को शाम 07:27 मिनट पर।
पूजन का समय : अपराह्न 12:07 मिनट से 12:49 मिनट तक।
अष्टमी की 00 घंटे 42 मिनट्स
पूजा की विधि :
- मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर मंदिर को साफ करे लें।
- अब चौकी/ पटिया पर लाल कपड़ा बिछा लीजिए।
- भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति चौकी पर एक पात्र में रखिए।
- अब दीपक जलाएं और साथ ही धूप बत्ती भी जला लीजिए।
- बालरूप कृष्ण जी से प्रार्थना करें कि,
'हे भगवान् कृष्ण! कृपया पधारिए और पूजा ग्रहण कीजिए।
- श्री कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराएं।
- फिर गंगाजल से स्नान कराएं।
- अब श्री कृष्ण को वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार करें।
- भगवान कृष्ण को धूप-दीप दिखाएं।
- अष्टगंध, चंदन या रोली का तिलक लगाकर उस पर अक्षत लगाएं।
- तुलसी के पत्ते विशेष रूप से अर्पण कीजिए।
- माखन मिश्री और अन्य भोग सामग्री पर तुलसी रखकर उन्हें अर्पित करें।
- पीने के लिए गंगा जल भी साथ में रखें।
- पूजन के पश्चात कृष्ण मंत्रों का जाप करें।
इस तरह मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण का पूजन करके लाभ लें और जीवन को सुखमय बनाएं।
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