संकष्टी चतुर्थी समाप्ति- 01 फरवरी 2021, सोमवार 18:23 बजे
सकट चौथ, संकट चौथ, वक्रतुंडी चतुर्थी, माही और तिलकुटा चौथ के नाम से जाने जाने वाली यह चतुर्थी अत्यंत शुभ मानी गई है। चतुर्थी का शुभ पर्व भगवान गणेश जी को समर्पित है। सकट का अर्थ यहां पर संकट से है। इस दिन भगवान गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में आने वाले समस्त प्रकार के कष्टों को दूर करने में मदद मिलती है।
इस चतुर्थी पर तिल और गुड से बनी चीजों का खाने की परंपरा है। इसीलिए इसे तिलकुटा भी कहते हैं। यह पर्व बड़े ही भक्तिभाव से मनाया जाता है।
पंचांग के अनुसार 31 जनवरी 2021 और मतांतर से 1 फरवरी को पर्व मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रोदय का समय रात्रि 08 बजकर 27 मिनट है। इस तिथि का समापन 1 फरवरी 2021 को शाम 06 बजकर 24 मिनट पर होगा।
बच्चों के लिए मां रखती हैं व्रत
सकट चौथ पर मां अपने बच्चों के लिए व्रत रखती है। मान्यतानुसार जो बच्चे गंभीर रोग से पीड़ित होते हैं, उनके लिए यदि मां इस दिन व्रत रखें तो लाभ मिलता है। वहीं यह व्रत बच्चों को बुरी नजर से भी बचाता है। जो मां अपने बच्चों के लिए इस दिन व्रत रखती हैं वे बच्चे जीवन में कई तरह के संकटों से दूर रहते हैं।
चौथ का व्रत जीवन में सुख समृद्धि लाता है। इस व्रत को संतान के लिए श्रेष्ठ माना गया है। मां द्वारा रखा जाने वाला यह व्रत बच्चों की शिक्षा में आने वाली बाधा को भी दूर करने वाला माना गया है। संतान पर भगवान गणेश की कृपा और आशीष बना रहता है। इस दिन मां अपने बच्चों के लिए निर्जला व्रत भी रखती हैं। इस दिन भगवान गणेश को तिल, गुड, गन्ना और तिल का भोग लगाया जाता है।
संकट चौथ पर मिट्टी से गणेश जी बनाएं और पूजा करें। इस दिन गणेश जी को पीले वस्त्र पहनाएं। शाम को चंद्रमा को जल देकर व्रत समाप्त करें। तिल और गुड़ का भोग लगाएं। प्रसाद में गुड़ और तिल दें।