Sawan Swarna Gauri Vrat : प्रतिवर्ष श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को स्वर्ण गौरी व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 07 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस व्रत में भगवान शिव और देवी माता पार्वती की पूजा की जाती है। सावन शुक्ल तृतीया तिथि पर कि जाने वाले इस व्रत को स्वर्ण गौरी, हरियाली तीज या मधुश्रवा तीज भी कहते हैं। बता दें कि इस पर्व को मां पार्वती और शिव के मिलन की याद में मनाया जाता है।
इस व्रत के धार्मिक महत्व के अनुसार नवविवाहिताएं अपने पीहर जाकर यह त्योहार मनाती हैं तथा युवतियां झूला झूलती हैं और सावन के मधुर गीत भी गाती हैं। इस दिन स्वर्ण गौरा यानी पार्वती का सोने जैसे स्वरूप की पूजा की जाती है। अत: यदि संभव हो तो इस दिन सोने की पार्वती माता की प्रतिमा का पूजन करें। अगर यह नहीं कर सकते तो फिर मिट्टी की प्रतिमा या तस्वीर का पूजन कर सकते हैं।
स्वर्ण गौरी व्रत के दिन के उपाय : Swarna Gauri Vrat Remedies
• इस दिन पति-पत्नी सुबह उठकर स्नानादि के पश्चात किसी शिव-पार्वती मंदिर में जाकर लाल पुष्प चढ़ाएं।
• सोने की माता पार्वती यानि पार्वती की स्वर्ण मूर्ति को लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, सिंदूर, मेहंदी आदि सुहाग सामग्री अर्पित करके प्रार्थना करें।
• 11 (ग्यारह) नवविवाहित युवतियों को सुहाग सामग्री जैसे- सिंदूर, मेहंदी, चूड़ी, काजल, लाल चुनरी आदि भेंटस्वरूप दें।
• इस दिन दूध में केसर मिलाकर सोने की माता पार्वती प्रतिमा का अभिषेक करें, इससे पति-पत्नी में हमेशा प्रेम बना रहता है।
• घर की महिला या पत्नी चावल की खीर बना कर माता पार्वती को इसका भोग लगाएं। बाद में पति-पत्नी साथ में ये खीर खाएं तो दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।
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