पौराणिक कथाओं के अनुसार, युधिष्टिर सम्वत 9 ज्येष्ठ शुक्ल नवमी के दिन भगवान महेश तथा आदिशक्ति माता पार्वती ने ऋषियों के श्राप के कारण पत्थर में परिवर्तित हो चुके 72 क्षत्रियों को शापमुक्त कर और पुनर्जीवन प्रदान करते हुए कहा था कि आज से तुम्हारे वंशपर हमारी छाप रहेगी, तुम माहेश्वरी कहलाओगे।
इस दिन को माहेश्वरी समाज में माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिन के रुप में मनाते हैं और इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है तथा चल समारोह निकाला जाता है। शिवजी के भक्त इस दिन महेश वन्दना का गायन करते हैं। इसी के साथ ही शिव मन्दिरों में भगवान महेशजी की महाआरती का आयोजन किया जाता है।