yamuna chhath 2025: यमुना छठ जिसे 'यमुना जयंती' के नाम से भी जाना जाता है, देवी यमुना को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह त्योहार मथुरा और वृंदावन शहर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यमुना छठ का शुभ दिन देवी यमुना के पृथ्वी पर अवतरण की याद दिलाता है और इसलिए इसे देवी यमुना की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह हिंदू महीने चैत्र के दौरान शुक्ल पक्ष की षष्ठी (छठे दिन) को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार यह इस बार 3 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। पंचांग भेद से यह 4 अप्रैल को भी रहेगा।
	 
	पूजा का प्रात: मुहूर्त: प्रात: 04:37 से 06:09 के बीच।
	पूजा का अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:59 से दोपहर 12:50 के बीच। 
	यमुना नदी के जन्म की कथा के अनुसार, यमुना यमराज की बहन हैं और सूर्य देव तथा उनकी पत्नी संज्ञा (या छाया) की पुत्री हैं। यमुना के रोने से उनके आँसुओं का प्रवाह तेज हो गया और उन्होंने एक नदी का रूप धारण कर लिया, जो यमुना नदी के नाम से प्रसिद्ध हुई। यमुना को सूर्यतनया, सूर्यजा और रविनंदिनी भी कहा जाता है। 
	 
	यमुना नदी को भी धरती की नदी नहीं मानते हैं। यह नदी भी आकाश मार्ग से धरती पर उतरी थीं। भगवान सूर्य देव की पत्नी संज्ञा जब सूर्य देव के साथ रहते हुए उनकी गर्मी नहीं बर्दाश्त कर सकीं तो उन्होंने अपनी ही तरह की एक छाया के रूप में एक औरत का निर्माण किया तथा उसे भगवान सूर्य के पास छोड़ कर अपने मायके चली गई। सूर्य देव छाया को ही अपनी पत्नी मानकर एवं जानकर उसके साथ रहने लगे। संज्ञा के गर्भ से दो जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया। उसमें लड़के का नाम यम तथा लड़की का नाम यमी पड़ा। यम तो यमराज हुए तथा यमी यमुना हुई। सूर्य की दूसरी पत्नी छाया से शनि का जन्म हुआ। जब यमुना भी अपनी किसी भूल के परिणाम स्वरुप धरती पर आने लगी तों उसने अपने उद्धार का मार्ग भगवान से पूछा। भगवान ने बताया कि धरती पर देव नदी गंगा में मिलते ही तुम पतित पावनी बन जाओगी।