कैसे करें उपवास...

- दिनेशचंद्र उपाध्या
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उपवास का मुख्य उद्देश्य आँतों (पेट) को आराम देना एवं रसना (जिव्हा) संयम के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति करना है। आत्मिक लाभ के साथ ही उपवास से शारीरिक लाभ मिलते हैं। उपवास करने से आँतों को पूर्ण आराम मिलता है। निराहार रहने से शरीर में जमा वसा (ग्लाइकोजन) एवं स्टार्च का पाचन हो जाता है, जिससे मोटापा नहीं बढ़ता।

उपवास करने से शरीर में उत्पन्न होने वाले टॉक्सिन, पेशाब एवं पसीने के रूप में बाहर निकल जाते हैं। इस प्रकार उपवास के कई लाभ हैं। परंतु उपवास के नाम पर फरियाली, खिचड़ी, चिप्स आदि दिनभर खाते रहने से लाभ के बजाय हानि ही होती है। वहीं यदि उपवास सही तरीके से नहीं छोड़ा जाए तो भी शारीरिक नुकसान हो सकता है।

उपवास के एक दिन पूर्व शाम से ही गरिष्ठ भोजन त्याग देना चाहिए।

उपवास के दिन फल-दूध का आहार लेना चाहिए।

उपवास के समय अधिक मात्रा में जल का सेवन करना चाहिए। साथ ही सुबह एवं शाम को पैदल घूमना चाहिए जिससे विजातीय पदार्थ पसीने एवं मूत्र के रूप में बाहर निकल जाते हैं।

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अधिक कमजोरी होने पर नीबू पानी ले सकते हैं। इससे आँतों की सफाई अच्छी तरह से हो जाती है।

उपवास के दिन कठिन परिश्रम के बजाय साधारण तरीके से दिन बिताना चाहिए। इस दिन ध्यान इत्यादि करना चाहिए।

खाना खाकर उपवास नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि आँतों पर विश्राम के बाद लोड पड़ने से लाभ के बजाय हानि हो सकती है (या पेटदर्द हो सकता है)।

उपवास फलों के रस या सूप से खोलना चाहिए। दोपहर को दलिया या चावल की खिचड़ी खाना चाहिए एवं शाम को सादा भोजन (मूँग की दाल व रोटी) करना चाहिए।

उपवास यदि ज्यादा दिनों (पाँच, सात दिनों) का हो तो उपवास खोलने के लिए पहले दिन फलों का रस, दूसरे दिन मूँग की दाल का पानी, तीसरे दिन दलिया इस प्रकार से आहार लेना चाहिए।

उपवास शारीरिक क्षमता एवं स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर करना चाहिए। शरीर को अत्यधिक कष्ट देकर उपवास करना हानिकारक हो सकता है। डायबिटीज के रोगी को उपवास नहीं करना चाहिए।

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