चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष का शुभारंभ तथा चैत्री नवरात्र घट स्थापना का मुहूर्त होता है। लगभग तीन से चार वर्षों में इसमें मतभेद उत्पन्न होने का मुख्य आधार यह है कि ग्रह का परिवर्तन तिथि, नक्षत्र, योग, करण का प्रवेश काल भारतीय स्टेंडर्ड टाइम से रहती है जबकि वार का प्रवेश सूर्योदय से संबंधित है। जो कि स्थानानुसार भिन्न-भिन्न रहता है।
नववर्ष का प्रवेश सूर्योदय तिथि व वार से संबंधित है। इस वर्ष प्रतिपदा तिथि दिनांक 7 अप्रैल 08 को प्रातः 6 बजकर 9 मि. तक है। जिन स्थानों पर सूर्योदय सोमवार 7 अप्रैल 08 को 6 बजकर 9 मि. के पूर्व हो रहा है वहाँ पर उदयातिथि अनुसार वर्ष का प्रारंभ 7 अप्रैल 08 को होगा। लेकिन जिन स्थानों पर सूर्योदय 6 बजकर 9 मि. के उपरांत होगा, उन स्थानों पर नववर्ष का प्रारंभ 6 अप्रैल 08 रविवार को होगा क्योंकि 7 अप्रैल 08 को इन स्थानों पर प्रतिपदा तिथि का क्षय हो गया है।
इसलिए अमावस्यायुक्त प्रतिपदा को नववर्ष आरंभ होने का शास्त्रीय सिद्धांत है। पाठकों की सुविधा के लिए किसी दिन किस नगर में नववर्ष आरंभ, गुड़ी पड़वा या वसंत नवरात्र घटस्थापन होगी। उसकी सूची इस प्रकार है- जहाँ पर रविवार को घट स्थापना या वर्ष आरंभ है वहाँ पर दिन 9 बजकर 25 मि. के पश्चात ही नववर्ष कर्म करना चाहिए।
प्रतिपदा तिथि दिनांक 7 अप्रैल 08 को प्रातः 6 बजकर 9 मि. तक है। जिन स्थानों पर सूर्योदय सोमवार 7 अप्रैल 08 को 6 बजकर 9 मि. के पूर्व हो रहा है वहाँ पर उदयातिथि अनुसार वर्ष का प्रारंभ 7 अप्रैल 08 को होगा।
दिनांक 6 अप्रैल 08 रविवार को नववर्ष आरंभ वाले शहर हैं- इंदौर, खंडवा, उज्जैन, श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर, जयपुर, उदयपुर, अहमदाबाद, (गुजरात व राजस्थान), अकोला, मुंबई, पुणे, सोलापुर, बंगलोर, औरंगाबाद, जलगाँव, धार, भुसावल, रतलाम, नीमच, झाबुआ, बदनावर, बड़नगर,बड़वाह, भीकनगाँव, महू, मनासा, मंदसौर, महेश्वर, सेंधवा, शाजापुर, शुजालपुर, मनावर, दाहोद, खरगोन।
उपर्युक्त प्रमुख नगरों में वर्ष आरंभ इस प्रकार ही मनाना शास्त्र सम्मत है। इस प्रकार का भेद भविष्य में भारत में 24 वर्ष पश्चात पुनः आएगा। इस संवत्सर का नाम 'प्लव' है जिसके फल में शास्त्रों में फल है कि वर्षा अधिक होगी।
कुछ स्थानों पर बाढ़ के फलस्वरूप जन-धन हानि होगी। जनता में रोगों की अधिकता एवं प्राकृतिक आपदा का सामना कृषि के क्षेत्र में विशेष होगा। आमजन को नुकसान का सामना करना पड़ेगा।