जस्टिस शरद अरविंद बोबडे भारत के 47वें प्रधान न्यायाधीश (CJI) हैं। निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 18 अक्टूबर को जस्टिस बोबडे की प्रधान न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की सिफारिश की थी। वरिष्ठता क्रम की नीति के तहत पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई ने उनका नाम केंद्र सरकार को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर भेजा था।
न्यायमूर्ति बोबडे को सीजेआई पद पर नियुक्त करने के आदेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तखत किए थे। चीफ जस्टिस बोबडे महाराष्ट्र के वकील परिवार से आते हैं और उनके पिता अरविंद श्रीनिवास बोबडे भी मशहूर वकील थे। जस्टिस बोबडे 17 महीने तक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद पर रहेंगे और 23 अप्रैल 2021 को रिटायर होंगे।
जन्म और शिक्षा : शरद अरविंद बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कला एवं कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की। वर्ष 1978 में महाराष्ट्र बार परिषद में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया।
बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में 21 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले न्यायमूर्ति बोबडे वर्ष 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने। न्यायमूर्ति बोबडे ने 29 मार्च 2000 में बंबई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 16 अक्टूबर 2012 को वे मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 12 अप्रैल 2013 को उनकी पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुई।
अयोध्या फैसले में रहे हैं शामिल : अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला देकर 1950 से चल रहे विवाद का पटाक्षेप करने वाली 5 जजों की बेंच में जस्टिस बोबडे भी थे। अगस्त 2017 में तत्कालीन CJI जेएस खेहर की अध्यक्षता में 9 जजों की पीठ ने एकमत से निजता के अधिकार को भारत में संवैधानिक रूप से संरक्षित मूल अधिकार होने का फैसला दिया था। इस पीठ में भी जस्टिस बोबडे शामिल थे।
बीसीसीआई पर सुनाया था बड़ा फैसला : हाल ही में न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता वाली 2 सदस्यीय पीठ ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) का प्रशासन देखने के लिए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखाकार विनोद राय की अध्यक्षता में बनाई गई प्रशासकों की समिति को निर्देश दिया कि वे निर्वाचित सदस्यों के लिए कार्यभार छोड़ें।
पूर्व सीजेआई गोगोई को दी थी क्लीन चिट : न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता में ही सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय समिति ने पूर्व CJI गोगोई को उन पर न्यायालय की ही पूर्व कर्मी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप में क्लीन चिट दी थी। इस समिति में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भी शामिल थीं। न्यायमूर्ति बोबडे 2015 में उस 3 सदस्यीय पीठ में शामिल थे जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार संख्या के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता।
राइडिंग से है बेहद लगाव : जस्टिस बोबडे को बाइक राइडिंग से बेहद लगाव है। उनकी पसंदीदा बाइक रॉयल एनफील्ड कंपनी की बुलेट है। वे अक्सर उसे खुद ही चलाते हुए दिख जाते हैं। इस साल की शुरुआत में वे हार्ले डेविडसन बाइक की टेस्ट ड्राइव कर रहे थे कि अचानक बाइक स्लिप हो गई और वे दुर्घटना का शिकार हो गए थे। जंगल में घूमना उन्हें बेहद पसंद है। इसके अलावा वे डॉग के शौकीन हैं। खाली समय वे किताबें पढ़ना पसंद करते हैं। जस्टिस बोबडे घर पर बेहद सादगी से रहते हैं और उनकी यही सादगी हर जगह देखने को मिलती है।