खतना करवाया, पाकिस्तान में बना मेजर और दुश्मन को किया चित, जानिए कौन था भारत माता का वो जांबाज़ शेर

WD Feature Desk

गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 (15:48 IST)
Ravindra Kaushik Story: भारत माता की कोख ने समय-समय पर ऐसे वीर सपूतों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपनी जान हथेली पर रखकर देश की रक्षा की है। इनमें से कुछ गुमनाम रहे, पर्दे के पीछे रहकर उन्होंने ऐसे कारनामे अंजाम दिए जिनकी गूंज इतिहास के पन्नों में दबी रह गई। आज हम आपको ऐसे ही एक जांबाज एजेंट की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने दुश्मन की धरती पर न केवल गहरी पैठ बनाई बल्कि उन्हें धूल भी चटाई। इस वीर का नाम था रवींद्र कौशिक। रवींद्र कौशिक, एक ऐसा नाम जो भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है।

जासूसी उपन्यास से कम नहीं है रवींद्र की कहानी: सच में रविन्द्र की कहानी सुनने में किसी रोमांचक जासूसी उपन्यास जैसी ही लगती है। राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्मे रवींद्र बचपन से ही कला और अभिनय के धनी थे। उनकी इस प्रतिभा को रॉ के अधिकारियों ने पहचाना और उन्हें एक बेहद जोखिम भरे मिशन के लिए चुना गया। देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले रविंद्र ने एक बेहद मुश्किल और खतरनाक मिशन को स्वीकार किया।

पहचान पुख्ता करने के लिए करवाया खतना : यह मिशन इतना गोपनीय और चुनौतीपूर्ण था कि इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। रवींद्र को दुश्मन देश पाकिस्तान में एक ऐसे पहचान के साथ स्थापित होना था कि किसी को रत्ती भर भी शक न हो। इसके लिए उन्हें न केवल अपनी पहचान बदलनी थी, बल्कि वहां के रीति-रिवाजों, भाषा और संस्कृति को पूरी तरह से अपनाना था। इस प्रक्रिया में, उन्हें एक ऐसी शारीरिक प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ा जिसने उनकी पहचान को पूरी तरह से बदल दिया – खतना। पाकिस्तान जाने से पहले उन्होंने अपना नाम बदलकर नबी अहमद शकीर रख लिया।  

लाहौर यूनिवर्सिटी में की पढ़ाई:  एक मुस्लिम व्यक्ति के रूप में उन्होंने पाकिस्तान में प्रवेश किया और अपनी बुद्धिमत्ता और वाकपटुता से जल्द ही लाहौर विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और अपनी पहचान को मजबूत किया। कानून की डिग्री हासिल कर वे पाकिस्तानी सेना में भर्ती हो गए।

पाकिस्तानी सेना में बने मेजर : अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर वे जल्द ही मेजर के पद तक पहुंच गए। मेजर बन कर रवींद्र कौशिक, अब पाकिस्तान की सेना का एक अभिन्न हिस्सा बन चुके थे। लेकिन उनका असली काम तो अब शुरू हुआ था। उन्होंने अपनी पहुंच और जानकारी का इस्तेमाल कर भारत को पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों और रणनीतियों की महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी भेजना शुरू कर दिया। उनके द्वारा दी गई जानकारी इतनी सटीक और महत्वपूर्ण साबित हुई कि इसने कई मौकों पर भारत को रणनीतिक बढ़त दिलाई।

पत्नी को भी नहीं पता थी असलियत: लाहौर में रहते हुए रविंद्र की मुलाकात एक पाकिस्तानी सेना के अधिकारी की बेटी से हुई। धीरे-धीरे दोनों में प्यार हुआ और उन्होंने शादी कर ली। उन दोनों का एक बीटा भी हुआ। उनकी पत्नी भी इस बात से अनजान थीं कि उनका पति वास्तव में कौन है और किस मिशन पर पाकिस्तान आया है। रविंद्र ने अपनी दोहरी जिंदगी को बड़ी ही सावधानी और कुशलता से जिया।

पाकिस्तानी जेल में हुई ब्लेक टाइगर की मृत्यु : लगभग एक दशक तक रवींद्र कौशिक ने अपनी जान जोखिम में डालकर भारत के लिए काम किया। उन्होंने दुश्मन की आंखों में आंखें डालकर उन्हें धोखा दिया और अपने देश की सेवा की। उन्हें ‘द ब्लैक टाइगर’ के नाम से भी जाना जाता था, जो उनकी बहादुरी और कुशलता का प्रतीक था। दुर्भाग्यवश, 1983 में उनकी पहचान उजागर हो गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पाकिस्तानी जेलों में उन्हें अमानवीय यातनाएं दी गईं, लेकिन उन्होंने कभी भी भारत से जुड़ी कोई भी जानकारी दुश्मन को नहीं दी। 23 साल की उम्र में पाकिस्तान गए रविंद्र ने अपने जीवन के लगभग 18 साल जेल की सलाखों के पीछे बिताए। आखिरकार, 2001 में इस गुमनाम हीरो ने जेल में ही अंतिम सांस ली।

रविंद्र कौशिक की कहानी त्याग, बलिदान और देशभक्ति की एक अद्भुत मिसाल है। उन्होंने अपनी जवानी, अपना परिवार और अपनी पहचान देश के लिए कुर्बान कर दी। दुख की बात यह है कि भारत माता के इस वीर सपूत को वह सम्मान और पहचान नहीं मिल पाई, जिसका वह हकदार था। आज भी उनकी कहानी बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन उनका शौर्य और बलिदान हमेशा हमारी स्मृतियों में जीवित रहना चाहिए। रविंद्र कौशिक, वह जांबाज शेर थे जिन्होंने दुश्मन की धरती पर दहाड़ लगाई और भारत माता का सिर गर्व से ऊंचा किया।

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