कैसी गिफ्‍ट देंगे आप इस दिवाली

दिवाली आते ही मानों घर में खुशियों की बारिश होने लगती है। तोहफे इस खुशी में चार चाँद लगा देते हैं। दिवाली में तोहफे लेने और देने का चलन कोई आज से नहीं है बल्कि दशकों से चला आ रहा है। यही वजह है कि दिवाली में तोहफों का बाजार काफी गर्म नजर आता है। किशोर, युवा, अधेड़ों से लेकर बुजुर्ग तक इस मामले में पीछे रहना पसंद नहीं करते।

एक जमाना था जब दिवाली में ज्यादातर लोग मिठाइयाँ और क्रॉकरी के गिफ्ट्स देना ही पसंद करते थे, लेकिन अब गिफ्ट की दुनिया बदल गई है। अब विकल्प पहले की तुलना में कई गुना बढ़ गए हैं। असल में अब हम हर चीज में कोई नयापन चाहते हैं। यही कारण है कि गिफ्टों की दुनिया में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अब गिफ्टों में ऐसी-ऐसी चीजें शामिल हो चुकी हैं जिन्हें कुछ वर्ष पहले तक हम सोच भी नहीं सकते थे। क्या आप सोच सकते हैं कि बतौर तोहफा कोई नई सिम खरीदकर दे रहा है? या फिर कोई तोहफे में किसी को दोस्ती का वादा दे रहा है? वास्तव में ऐसा हो रहा है। विशेषकर जब बात दिवाली के अवसर की हो तो तोहफों की कीमत अन्य दिनों के मुकाबले कई गुना बढ़ जाती है। अब 12 वर्षीय मनोज को ही लें।

मनोज पिछले कई दिनों से अपने पिता से एक मोबाइल सेट की डिमांड कर रहा था। मगर छोटा होने के कारण उसके पिता ने उसे मोबाइल देने से इंकार कर दिया। लेकिन मनोज के सबसे अच्छे दोस्त अमर ने उसकी यह जिद पूरी कर दी। मनोज की पसंद-नापसंद अमर अच्छी तरह जानता है। इसलिए अमर ने पिछले कई महीनों की अपनी पॉकेट मनी बचाई और दिवाली के मौके पर उसने एक मोबाइल खरीदकर मनोज का दिल खुश कर दिया। जाहिर तौर पर मनोज मोबाइल पाकर बेहद खुश हुआ। उसने भी अमर को तोहफे के तौर पर उसकी पसंदीदा वीडियो गेम गिफ्ट की।

हमारे सामने सिर्फ तोहफों के कई विकल्प भर मौजूद नहीं हैं। वास्तव में हमारे लिए तोहफों के मायने भी बदल चुके हैं। अब हम तोहफों को महज घर में सजाने का एक शो पीस भर नहीं मानते बल्कि तोहफों के साथ हमारी भावनाएँ जुड़ी होती हैं। कुछ लोग तोहफे के इस चलन से नाखुश भी नजर आते हैं। उन्हें लगता है कि तोहफे की औपचारिकता में रिश्ते दिल से नहीं निभाए जाते वरन्‌ वे दिखावटी दुनिया का हिस्सा बन जाते हैं। ऐसा नहीं है।

हालाँकि हम इस बात को नकार नहीं सकते कि यह दौर दिखावे का दौर बन चुका है। कई लोग महँगे तोहफे सिर्फ इसलिए देते हैं ताकि दूसरों को अपनी हैसियत दिखा सकें। लेकिन यह भी सच है कि जो तोहफे को दिल से स्वीकारते हैं, उनके लिए कीमत कोई मायने नहीं रखती।

यूँ भी कहा जाता है कि तोहफों के जरिए हम किसी से भी अपने दिल की बात आसानी से कह सकते हैं। ध्यान रखें कि दिवाली के इस पावन अवसर पर अपनी हैसियत दिखाने के लिए या फिर अपने दोस्त व सगे-संबंधी को कमतर साबित करने के लिए महँगे तोहफे देकर उनका दिल न दुखाएँ, दिवाली अनजानों को गले लगाने का अवसर होता है। सो, बेहतर है कि दोस्त के साथ बहुत महँगे तोहफों की औपचारिकता न बढ़ाएँ। यह भी ध्यान रखें कि गिफ्ट की दुनिया में पारंपरिक तोहफों को कोई विशेष तरजीह नहीं देता। तोहफों के मामले में अपनी कल्पनाशीलता इस्तेमाल करें। अपने दोस्त या परिजनों को उसकी पसंद-नापसंद के अनुसार तोहफा दे सकते हैं।

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