भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद कहा कि सपना स्वर्ण का था लेकिन लगातार दूसरे ओलंपिक में कांस्य जीतकर इस टीम ने साबित कर दिया है कि यह दुनिया में किसी भी टीम को हरा सकती है।
पेरिस ओलंपिक में दस गोल करने वाले हरमनप्रीत ने कहा , सबसे अहम बात है कि हमने लगातार दो ओलंपिक पदक जीते जो साबित करते हैं कि भारतीय हॉकी का ग्राफ ऊपर जा रहा है। हम किसी भी टीम को हरा सकते हैं। यह देश के लिये और हमारे लिये बड़ी बात है।
उन्होंने जियो सिनेमा से कहा , इस मुकाम पर इंतजार लंबा होता है। एक हॉकी खिलाड़ी के लिये यह आसान नहीं होता। हमें खुशी है कि हम एक टीम की तरह खेले और एक दूसरे पर भरोसा रखा। कोचों को भी धन्यवाद।
उन्होंने कहा , हमारा सपना स्वर्ण पदक जीतने का था और सभी को भरोसा था कि हम जीतेंगे। मैं माफी मांगना चाहता हूं क्योंकि हम करीब से चूक गए लेकिन यह पदक भी हमारे लिये सब कुछ है।
आठ बार की चैम्पियन भारतीय पुरूष हॉकी टीम का यह 13वां ओलंपिक पदक है और पचास साल बाद लगातार दो ओलंपिक में पदक जीते हैं। इससे पहले 1968 में मैक्सिको और 1972 में म्युनिख ओलंपिक में भारत ने कांस्य जीता था।
सेमीफाइनल में नीदरलैंड से चार गोल से एकतरफा पराजय का सामना करने वाली स्पेनिश टीम ने आक्रामक शुरूआत की और पहले क्वार्टर में भारत को एक भी पेनल्टी कॉर्नर नहीं बनाने दिया। भारत के पास छठे मिनट में खाता खोलने का मौका था जब हार्दिक सिंह ने सर्कल पर से डी के भीतर सुखजीत सिंह को पास दिया लेकिन वह सही निशाना नहीं साध सके।
स्पेन के लिये 10वें मिनट में मोस मारिया बास्टेरा के शॉट का हरमनप्रीत ने बचाव किया। पहले क्वार्टर तक कोई टीम गोल नहीं कर सकी।
दूसरे क्वार्टर में स्पेन को 18वें मिनट में पेनल्टी स्ट्रोक मिला जिस पर मिरालेस ने आसानी से गोल कर दिया।स्पेन को दो मिनट बाद पेनल्टी कॉर्नर भी मिला लेकिन रोहिदास ने जबर्दस्त बचाव किया। रोहिदास ने खास तौर पर डिफेंस में बेहतरीन प्रदर्शन किया जिनकी कमी जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल में उनके प्रतिबंधित होने के कारण खली थी।
स्पेन की टीम 25वें मिनट में एक और गोल करने के करीब पहुंची जब गेरार्ड क्लापेस ने सुमित से गेंद छीनी और श्रीजेश के ठीक सामने उन्हें चकमा देकर गोल के भीतर डालने की कोशिश की और भारतीय टीम भाग्यशाली रही कि उनका निशाना ठीक नहीं लगा।
स्पेन को दो मिनट बाद मिला पेनल्टी कॉर्नर भी बचा लिया गया । भारत को मैच का पहला पेनल्टी कॉर्नर 28वें मिनट में मिला लेकिन रोहिदास गोल नहीं कर सके। हाफटाइम से कुछ सेकंड पहले मिले पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करके हरमनप्रीत ने भारत को बराबरी दिलाई।
ब्रेक के बाद भारतीय टीम आक्रामक तेवरों के साथ उतरी और तीसरे ही मिनट में मिले पेनल्टी कॉर्नर को तब्दील करके हरमनप्रीत ने 2 . 1 से बढत दिला दी। हरमनप्रीत का यह टूर्नामेंट में 11वां गोल था।
दो मिनट बाद जवाबी हमले में स्पेन को मिले पीसी पर मिरालेस गोल नहीं कर सके। वहीं भारत को 37वें और स्पेन को 40वें मिनट में मिला पेनल्टी कॉर्नर बेकार गया।आखिरी पंद्रह मिनट में सुखजीत ने फिर एक मौका गंवाया जबकि स्पेन को 59वें मिनट में दो और फिर आखिरी मिनट में मिले दो और पेनल्टी कॉर्नर बेकार गए। (भाषा)