भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल में सियासी पारा पूरे उफान पर है। ग्वालियर-चंबल अंचल की मुरैना लोकसभा सीट पर चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी नीटू सिकरवार के भाई पर फायरिंग की घटना के बाद मुरैना लोकसभा सीट पर संवेदनशील सीट हो गई है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में भी मुरैना की दिमनी विधानसभा सीट पर बड़े पैमाने पर हिंसा की खबरें सामने आई थी। ऐसे में भाजपा के दिग्गज नेता और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के करीबी भाजपा प्रत्याशी शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस उम्मीदवार सत्यपाल सिंह सिकरवार (नीटू) के बीच चुनाव में सीधी भिंडत होने जा रही है। वहीं अंतिम समय में बसपा के मैदान में आने से चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होता भी दिख रहा है।
मोदी के चेहरे भरोसे भाजपा- मुरैना लोकसभा सीट पर भाजपा पीएम मोदी के भरोसे चुनावी मैदान में है, यहीं कारण है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 अप्रैल को मुरैना में बड़ी चुनावी जनसभा करने आ रहे है। मुरैना में भाजपा की ताकत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और राम मंदि लहर है। वहीं विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की इस क्षेत्र में जबरदस्त पकड़ होने का फायदा भी भाजपा उम्मीदवार को मिलेगा। नरेंद्र सिंह तोमर पर्दे के पीछे से पूरा चुनावी मैनजमेंट संभाल रहे है। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की सिफारिश पर ही शिवमंगल सिंहं तोमर को टिकट मिला है, इसलिए चुनाव में उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
कांग्रेस की तगड़ी चुनौती- मुरैना में काफी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने सत्यपाल सिंह सिकवार नीटू को चुनावी मैदान में उतारा है। नीटू सिकरवार ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस विधायक सतीश सिकवार के भाई है। वहीं नीटू सिकरवार के पिता गजराज सिंह सिकरवार की क्षेत्र में अच्छी पकड़ रही है। पिछले दिनों अपनी नामांकन सभा में बैटे के लिए गजराज सिंह सिकवार व्हीलचेर पर पहुंचे थे और पिता को मंच पर देखकर नीटू सिकरवार भावुक हो गए थे। कांग्रेस उम्मीदवार नीटू सिकवार के क्षेत्र में अच्छी पकड़ और ठाकुर वोटर्स के भरोसे वह भाजपा को सीधी चुनौती दे रहे है।
कांग्रेस को भितरघात का खतरा- मुरैना लोकसभा सीट ऐसी है जहां पर कांग्रेस को सबसे अधिक भितरघात का खतरा है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और 6 बार के विधायक रामनिवास रावत के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की अटकलों ने क्षेत्र के सियासी पारे को गर्मा दिया है। अटकलें इस बात की लगाई जा रही है कि नीटू सिकरवार को उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज चल रहे प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास में 25 अप्रैल को मुरैना में होने वाली पीएम मोदी की सभा में भाजपा में शामिल हो सकते है। अगर रामनिवास रावत भाजपा में शामिल होते है तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा और भाजपा की राह काफी आसान हो जाएगी।
मुरैना लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण हावी-मुरैना लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण हावी है। मुरैना में ठाकुरों और ब्राह्मणों में लंबे समय से चली आ रही वर्चस्व की लड़ाई का सीधा असर चुनाव पर भी दिखाई दे रहा है। विधानसभा चुनाव के दौरान सियासी घटनाओं के चलते भाजपा को लेकर ब्राह्मणों में नाराजगी बताई जा रही है। इसके साथ श्योपुर जिले की दो विधानसभा सीटों पर एससी और एसटी समुदाय की चुनाव में बड़ी भूमिका होगी। मुरैना में तीसरे चरण में 7 मई को वोटिंग होने जा रही है, ऐसे में जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ता जा रहा है, पूरा चुनाव स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवारों के चेहरे पर केंद्रित होता जा रहा है।
विधानसभा चुनाव में भाजपा को लगा था झटका- पिछले साल के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में मुरैना लोकसभा सीट पर भाजपा को तगड़ा झटका लगा था। विधानसभा चुनाव में मुरैना लोकसभा सीट की आठ विधानसभा सीटों में से भाजपा को सिर्फ तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि कांग्रेस को 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। श्योपुर जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मुरैना लोकसभा के अंतर्गत आने वाली श्योपुर, विजयपुर, जौरा, मुरैना और अंबाह विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं भाजपा केवल तीन सीटें सबलगढ़, सुमावली और दिमनी जीत सकी थी।