नववर्ष 2019 के आगमन के साथ ही सनातन धर्म के महापर्व 'कुम्भ' का आगाज भी हो जाएगा। वर्ष 2019 में कुम्भ महापर्व का प्रथम शाही स्नान मकर संक्रांति को होने जा रहा है जिसमें देश के प्रमुख साधु-संतों के साथ-साथ देश-विदेश से आए श्रद्धालुगण प्रयागराज स्थित त्रिवेणी में स्नान कर पुण्य अर्जित करेंगे। वर्ष 2019 में होने जा रहे कुम्भ में 3 'शाही स्नान' के अतिरिक्त 5 'पर्व स्नान' भी होंगे।
कुम्भ आयोजन का महत्व : कुम्भ के आयोजन में नवग्रहों में सूर्य, चंद्र, गुरु और शनि की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है इसलिए इन्हीं ग्रहों की गोचर में विशेष स्थितिवश कुम्भ का आयोजन होता है। सागर मंथन से जब अमृत कलश प्राप्त हुआ, तब अमृत घट को लेकर देवताओं और असुरों में खींचतान प्रारंभ हो गई। इसमें अमृत कलश से छलककर अमृत की बूंदें जहां-जहां पर गिरीं, वहां-वहां पर कुम्भ का आयोजन किया जाने लगा।
कुम्भ का आयोजन हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन व नासिक में किया जाता है। अमृत की छीना-झपटी के समय चन्द्रमा ने अमृत को बहने से बचाया। गुरु ने कलश को छुपाकर रखा। सूर्यदेव ने कलश को फूटने से बचाया और शनि ने इंद्र के कोप से रक्षा की। चूंकि इन 4 ग्रहों के सहयोग से ही अमृत की रक्षा हुई थी इसलिए जब-जब भी इन ग्रहों का राशि अनुसार विशेष संयोग होता है, तब-तब कुम्भ का आयोजन होता है।
कुम्भ का प्रारंभ आदिशंकराचार्य ने किया था। कुम्भ का व्यावहारिक पक्ष देखें तो प्राचीनकाल में साधु-संन्यासी मेले इत्यादि जैसे मनोरंजक कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लेते थे और समस्त साधु-संन्यासियों का एक ही स्थान पर दर्शन कर पाना आम नागरिकों के लिए भी संभव नहीं था किंचित इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर कुम्भ मेले की परंपरा का प्रारंभ हुआ।
कुम्भ में हमारे देश के प्रसिद्ध अखाड़ों का शाही स्नान आकर्षण का प्रमुख केंद्र होता है। ऐसी मान्यता है कि 'कुम्भ स्नान' करने से व्यक्ति आवागमन के दुष्चक्र से छूटकर मोक्ष को प्राप्त करता है।
आइए जानते हैं क्या हैं शाही व पर्व स्नान की तिथियां?
1. प्रथम शाही स्नान- 15 जनवरी 2019- मकर संक्रांति
2. द्वितीय शाही स्नान- 4 फरवरी 2019- मौनी अमावस्या