प्रशासनिक व्यवस्था:
2001 के कुंभ मेले में लगभग 7 करोड़ श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। प्रशासन द्वारा 40 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मेला आयोजन किया गया। सुरक्षा प्रबंध: सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल, अर्धसैनिक बल और निगरानी कैमरों का उपयोग किया गया। स्वास्थ्य सेवाएँ: अस्थायी अस्पताल, मोबाइल क्लिनिक और स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए। इतनी बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ को नियंत्रित करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि, 2001 के कुंभ मेले का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया और किसी बड़ी दुर्घटना की खबर नहीं आई।
वैश्विक आकर्षण:
प्रयागराज कुंभ मेला 2001 को 'विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन' कहा गया। इस आयोजन ने वैश्विक पर्यटकों, शोधकर्ताओं और पत्रकारों का ध्यान आकर्षित किया। कई अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने इसे कवर किया और इसकी भव्यता को दुनिया तक पहुँचाया। कुंभ मेले में समाज के हर वर्ग के लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ संगम पर स्नान करते हैं। यह आयोजन सामाजिक समरसता और समानता का प्रतीक है। सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, संगीत और साहित्यिक सभाओं का आयोजन किया गया।
आर्थिक प्रभाव:
मेले के आयोजन से स्थानीय व्यापार, पर्यटन, और सेवाओं को भारी आर्थिक लाभ हुआ। होटल, परिवहन, और अन्य सेवाओं में भारी वृद्धि देखी गई। प्रयागराज कुंभ मेला 2001 न केवल धार्मिक आस्था का संगम था, बल्कि यह सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से एक ऐतिहासिक आयोजन भी था।