Juna Akhada history : महाकुंभ में नागा साधुओं का अपना एक अलग ही महत्व होता है। इनकी तपस्या और साधना देखकर हर कोई दंग रह जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन नागा साधुओं को दीक्षा देने के लिए कितनी कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है? आइए जानते हैं वैष्णव अखाड़े में नागा साधुओं की दीक्षा और उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
वैष्णव अखाड़े में नागा साधुओं की दीक्षा
वैष्णव अखाड़े में नागा साधु बनने के लिए एक साधु को कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। इन परीक्षाओं में से एक है गर्म लोहे से दागना। यह प्रक्रिया बेहद दर्दनाक होती है, लेकिन इसे आध्यात्मिक शक्ति और धैर्य की परीक्षा माना जाता है। माना जाता है कि इस प्रक्रिया से साधु का शरीर और मन दोनों मजबूत होते हैं।
नागा साधुओं का जीवन
नागा साधुओं का जीवन काफी कठिन होता है। वे जंगलों में रहते हैं, भोजन के लिए भिक्षा मांगते हैं और कठोर तपस्या करते हैं। वे संसार के मोह-माया से दूर रहते हैं और केवल भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं। महाकुंभ में नागा साधुओं का विशेष महत्व होता है। वे महाकुंभ में शाही स्नान करने वाले पहले व्यक्ति होते हैं। नागा साधुओं की उपस्थिति महाकुंभ को और अधिक पवित्र बनाती है।