महाकुंभ 2025 में श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा क्यों है इतना भव्य? जानिए कैसे हुई स्थापना

WD Feature Desk

गुरुवार, 16 जनवरी 2025 (13:02 IST)
Niranjani Akhara : महाकुंभ 2025 का आयोजन भारत की प्राचीन धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं का एक प्रमुख केंद्र साबित हो रहा है। 13 प्रमुख अखाड़ों की भागीदारी में श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा का भी विशेष स्थान है। यह अखाड़ा न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी गहरी आध्यात्मिकता और अनुशासन इसे अन्य अखाड़ों से अलग बनाती है। खास बात है कि इसमें 10 हजार से ज्‍यादा साधु संत शामिल हैं और इस अखाडे के संत सबसे ज्‍यादा पढे लिखे हैं। जानते हैं आखिर क्‍या है निरंजनी अखाड़ा की खास बातें। 
 
तप और ज्ञान का प्रतीक : श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा भारतीय सनातन धर्म की सबसे प्राचीन और प्रमुख अखाड़ों में से एक है। इसका इतिहास गहराई से भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और योग परंपरा में जुड़ा हुआ है। यह अखाड़ा केवल साधु-संतों का निवास स्थान ही नहीं, बल्कि धर्म, तप और ज्ञान का प्रतीक भी है।
 
ऐसे हुई थी स्‍थापना : श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा की स्थापना लगभग 726 ईस्वी में हुई, जिनके इष्टदेव शिवजी के पुत्र कार्तिकेय हैं। यह अखाड़ा शैव परंपरा का पालन करता है, जिसमें भगवान शिव को सर्वोच्च आराध्य माना गया है। इस अखाड़े की स्थापना का मुख्य उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और समाज में आध्यात्मिक जागरूकता फैलाना था। उस समय समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए अखाड़ों की आवश्यकता थी। निरंजनी अखाड़ा का नाम "निरंजनी" रखा गया, जिसका अर्थ है "निर्मल" या "पवित्र"। यह नाम इस बात का प्रतीक है कि अखाड़े के साधु-संत सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर केवल आत्मा की शुद्धि और धर्म की सेवा में लगे रहते हैं। इस अखाड़े का मुख्यालय तीर्थराज प्रयाग में है। उज्जैन, हरिद्वार, त्रयंबकेश्वर व उदयपुर में अखाड़ा के आश्रम हैं। 
 
10 हजार से ज्‍यादा साधु-संतों का केंद्र : प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों में निरंजनी अखाड़े के मठ, मंदिर और जमीन की कुल संपत्ति 300 करोड़ रुपये से अधिक की मानी जाती है। यदि हरिद्वार और अन्य राज्यों में फैली संपत्ति को भी जोड़ा जाए, तो इसकी कुल कीमत हजार करोड़ रुपये से अधिक आंकी जाती है। अखाड़े में वर्तमान में लगभग 10,000 से अधिक नागा साधु निवास करते हैं। इसके अलावा, 33 महामंडलेश्वर और अंदाजन 1,000 से अधिक महंत और श्रीमहंत इसकी संरचना का हिस्सा हैं।
 
सबसे ज्‍यादा पढ़े-लिखे साधु हैं इसमें : निरंजनी अखाड़ा अपनी विशिष्ट पहचान के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से अपने शिक्षित साधु-संतों के लिए। इस अखाड़े में सबसे अधिक पढ़े-लिखे साधु शामिल हैं, जिनमें डॉक्टर, प्रोफेसर और अन्य पेशेवर लोग भी मौजूद हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, शैव परंपरा से जुड़े इस निरंजनी अखाड़े के लगभग 70 प्रतिशत साधु-संत उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। इनमें संस्कृत के विद्वान और आचार्य भी बड़ी संख्या में शामिल हैं। इसके बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और यह अखाड़ा भारतीय धर्म और संस्कृति की प्राचीन परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है।
 
क्‍या है महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े का महत्व : महाकुंभ के दौरान अखाड़े के संत और साधु भव्य शोभायात्राओं में भाग लेते हैं। ये शोभायात्राएं केवल धार्मिक आयोजनों का हिस्सा नहीं होतीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं के प्रतीक भी होती हैं। अखाड़े के नागा साधु, तपस्वी और विद्वान संत गंगा में स्नान करते हैं, जिसे धर्म और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इन संतों का स्नान महाकुंभ का सबसे बड़ा आकर्षण होता है।


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