महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि सभी संत महात्माओं के लिए सिंहासन लगा था और नागा संन्यासियों सहित सभी संत महात्मा स्नान के लिए तैयार थे। जब हमें सुनने में आया कि कोई घटना घटी है, तब हमने जनहित में यह निर्णय किया कि हम आज मौनी अमावस्या का स्नान नहीं करेंगे। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि अखाड़े आज भी स्नान के लिए जा सकते हैं। भीड़ हटने के बाद होगा अखाड़ों का अमृत स्नान।
क्या है परंपरा : कुंभ मेला की परंपरा के मुताबिक, सन्यासी, बैरागी और उदासीन अखाड़े भव्य जुलूस के साथ संगम तट पर पहुंचकर एक तय क्रम में अमृत स्नान करते हैं जिसमें क्रम में पहले स्थान पर पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी अमृत स्नान करता है।
कैसे हुआ हादसा : मेला के लिए विशेष कार्याधिकारी आकांक्षा राणा ने पत्रकारों को बताया कि संगम नोज पर बैरियर टूटने से भगदड़ जैसी स्थिति बन गई जिसमें कुछ लोग घायल हुए हैं और उनका अभी इलाज चल रहा है। घायलों को मेला क्षेत्र में स्थापित अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां कई घायलों के रिश्तेदार भी पहुंच गए हैं।
उल्लेखनीय है कि मौनी अमावस्या से एक दिन पूर्व मंगलवार को रात आठ बजे तक 4.83 करोड़ लोगों ने स्नान किया, जबकि इससे पूर्व मकर संक्रांति पर 3.5 करोड़ और पौष पूर्णिमा पर 1.7 करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई थी।