मौनी अमावस्या पर कुंभ स्नान का महत्व: धार्मिक मान्यता के अनुसार मौनी अमावस्या पर जो पितृ पूजन-तर्पण तथा दानादि कार्य करता है उसे जीवन में कभी भी कष्ट नहीं झेलने पड़ते और पूर्वजों के आशीर्वाद से उसका घर निरंतर फलता-फूलता है तथा उसका परिवार हमेशा प्रसन्न रहता है। इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। मौनी अमावस्या के अवसर पर कुंभ स्नान तथा पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन कुंभ स्नान का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है और यदि पूरे दिन मौन रखा जाए तो मानसिक समस्या दूर होकर अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार इस दिन प्रयागराज महाकुंभ में तीसरा शाही स्नान संपन्न होगा तथा मौनी अमावस्या के साथ ही बना महाकुंभ का यह अद्भुत संयोग बहुत फलदायी माना जाता है।
गृहस्थों के लिए गंगा स्नान के महत्वपूर्ण नियम
साधु-संतों को दें प्राथमिकता: महाकुंभ में साधु-संतों का विशेष स्थान होता है। शाही स्नान के दौरान विशेषकर साधु-संतों को पहले स्नान करने का अवसर दिया जाता है। गृहस्थों को साधु-संतों के स्नान के बाद ही स्नान करना चाहिए। ऐसा न करने पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पाप लग सकता है।
पांच बार डुबकी: गंगा स्नान के दौरान कम से कम पांच बार डुबकी लगाना शुभ माना जाता है। यह संख्या धार्मिक महत्व रखती है और माना जाता है कि इससे पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) का शुद्धीकरण होता है।
साफ-सफाई: स्नान करने से पहले शरीर को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए।
दान: स्नान के बाद जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। यह पुण्य का काम माना जाता है।