पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश के बाद सबसे अधिक लोगों की निगाहें पंजाब पर लगी हुई थी। पंजाब को लेकर आए लगभग सभी एग्जिट पोल्स में आम आदमी पार्टी को अपने दम पर सरकार बनाते हुए बताया जा रहा है। 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में कुछ एग्जिट पोल अरविंद केजरीवाल की पार्टी को 90 सीटें मिलने तक का अनुमान भी जता रहे है। अगर 10 मार्च को चुनाव परिणाम भी बहुत कुछ एग्जिट पोल के अनुमानों के मुताबिक ही रहते है तो AAP पहली बार किसी पूर्ण राज्य में अपने बलबूते सरकार बनाती हुई दिखाई देगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकार चलाने के दिल्ली मॉडल को पंजाब विधानसभा चुनाव में समाने रखकर लोगों के सामने बदलाव के तौर एक विकल्प पेश किया जिसको पंजाब की जनता ने हाथों-हाथों लपक लिया। इसके साथ अरविंद केजरीवाल पंजाब के वोटरों को यह समझाने में सफल रहे कि सरकारों को जनता की खुशहाली काम करना चाहिए और राजनीतिक दलों को समाज को बांटने वाली भाषा और अभियान से बचना चाहिए।
पंजाब की जनता विकास और बदलाव के नारे के साथ चुनावी रण में उतरी केजरीवाल की पार्टी के साथ पूरी तरह दिखाई दे रही है। अरविंद केजरीवाल ने चुनाव में स्कूल,अस्पताल, बिजली पानी जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का आश्वासन पंजाब की जनता को दिया और इसके लिए अपनी सरकार का एक मॉडल सरकार के तौर पर पेश किया।
वहीं दूसरी ओर पंजाब में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सत्तारूढ़ दल कांग्रेस हाईकमान (राहुल और प्रियंका) ने जिस तरह से कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाकर पहले दलित मुख्यमंत्री के तौर पर चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य की कमान सौंप कर 'दिल्ली मॉडल' स्थापित करने की कोशिश की थी वह कामयाब नहीं हुई।
चुनाव में आम आदमी पार्टी राह आसान करने का काम कांग्रेस की आतंरिक गुटबाजी ने बखूबी किया पंजाब में पहले दलित सीएम के तौर पर कांग्रेस ने भले ही चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया हो लेकिन पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से उनकी तनातनी ने कांग्रेस के वोटर को उससे दूर कर दिया और कांग्रेस से नाराज यह वोट बैंक एक साथ AAP के खाते में जाता हुआ दिखाई दे रहा है।