सूर्यनगरी जोधपुर में किसकी बढ़ेगी चमक? जानिए मरुधरा की 10 सीटों का हाल

वृजेन्द्रसिंह झाला
Assembly seats of Jodhpur and Phalodi: राजस्थान के मारवाड़ इलाके में आने वाले जोधपुर और फलौदी जिलों में इस बार हवा का रुख बदला-बदला नजर आ रहा है। हालांकि पिछली बार कांग्रेस की लहर में भाजपा 10 सीटों में से 2 सीटें ही जीत पाई थी, जबकि एक सीट पर रालोपा विजयी रही थी। बाकी 7 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।

मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर की सरदारपुरा सीट से चुनाव लड़ते हैं, उनका असर भी इस क्षेत्र में दिखाई ‍देता है। इस बार यह भी देखना दिलचस्प होगा कि गहलोत अपने आसपास की कितनी सीटों पर असर डाल पाते हैं। हालांकि इस बार टक्कर दोनों ही दलों के बीच कड़ी है। 
 
इसमें कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में चिरंजीवी योजना की राशि 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख कर दी है और 4 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। इसके साथ ही किसानों को 2 रुपए तक ब्याज मुक्त ऋण की घोषणा भी की है। ये सभी योजनाएं गहलोत सरकार के लिए 'मास्टर स्ट्रोक' साबित हो सकती हैं। लेकिन, इस बार हिन्दू बनाम मुस्लिम का मामला चुनाव को ज्यादा प्रभावित कर सकता है। पेपर लीक मामला भी गहलोत सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है। 
 
शिक्षाविद वीरेन्द्र सिंह राठौड़ कहते हैं कि मई 2022 में हुए दंगों के कारण इस बार हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण होता दिखाई दे रहा है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। ऐसे में अन्य मुद्दे गौण हो सकते हैं। राठौड़ कहते हैं कि जोधपुर शहर सीट पर कांग्रेस ने एक वर्तमान विधायक मनीषा पंवार को टिकट दिया है। पिछली बार वे कांग्रेस की लहर में चुनाव जीत गई थीं। लेकिन, जाति समीकरण उनके पक्ष में नहीं हैं। वे रावणा राजपूत समुदाय से आती हैं, जिनकी संख्या यहां काफी कम है। वहीं इस सीट पर माली समाज के लोग भी कांग्रेस से नाराज बताए जा रहे हैं, क्योंकि दंगों के दौरान उनके घर भी लपेटे में आए थे। आज उनकी घर बेचने की नौबत है। 
 
राठौड़ कहते हैं कि कांग्रेसी उम्मीदवारों को एंटी इन्कमबेंसी का भी सामना करना पड़ रहा है। ओसियां सीट को लेकर वे कहते हैं कि दिव्या मदेरणा का एटीट्‍यूट कट्‍टर जातिवादी रहा है। इसलिए गैर जाट समुदाय के लोगों में उनके प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है। इस सीट पर ज्यादातर राजपूत मतदाता भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा है। परिणाम कुछ भी हो सकता है। 
जोधपुर की सरदारपुरा सीट पर राज्य के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं। वे पहले भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। उन्हें भाजपा के डॉ. महेन्द्र सिंह राठौड़ चुनौती दे रहे हैं, लेकिन गहलोत की इस सीट पर जीत निश्चित है। शेरगढ़ सीट के बारे में राठौड़ कहते हैं कि इस बार मतदाताओं की सिम्पैथी बाबूसिंह के साथ दिखाई दे रही है। कांग्रेस की वर्तमान विधायक मीना कंवर खुद काम नहीं करतीं। हालांकि इस सीट पर कड़ी ‍टक्कर दिखाई दे रही है।  
 
जानिए क्या कहता है जोधपुर की विधानसभा सीटों का इतिहास
 
जोधपुर विधानसभा सीट : वर्तमान विधायक मनीषा पंवार के मुकाबले भाजपा ने अतुल भंसाली को मैदान में उतारा है। 2018 के चुनाव में पंवार ने भंसाली को 5 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। हालांकि इस सीट के इतिहास पर नजर डालें तो यहां से भाजपा 6 बार चुनाव जीत चुकी है, जबकि कांग्रेस को 3 बार ही जीत हासिल हुई है। एक बार जेएनपी उम्मीदवार भी सीट पर जीता है। 
 
सरदारपुरा विधानसभा सीट : सरदारपुरा से राजस्थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर मैदान में हैं। इस सीट पर 2003 से गहलोत चुनाव जीत रहे हैं। भाजपा यहां आखिरी बार 1993 में जीती थी। यह सीट अब कांग्रेस के गढ़ में तब्दील हो चुकी है। पिछले चुनाव में गहलोत ने भाजपा के शंभू सिंह 45000 से ज्यादा मतों से हराया था। 
 
शेरगढ़ विधानसभा सीट : कांग्रेस ने जहां वर्तमान विधायक मीना कंवर को फिर उम्मीदवार बनाया है। वहीं भाजपा ने भी बाबू सिंह राठौड़ को ही दोहराया है। 2018 का विधानसभा चुनाव मीना कंवर 24000 से ज्यादा वोटों से जीता था। हालांकि बाबू सिंह इस सीट पर 2003 से 2013 तक विधायक रह चुके हैं। 
 
भोपालगढ़ विधानसभा सीट : कांग्रेस ने इस सीट पर गीता बरवाड़ को उम्मीदवार बनाया, वहीं भाजपा ने पिछली बार तीसरे स्थान पर रहीं कंसा मेघवाल को उम्मीदवार बनाया है। पिछली बार आरएलपी के पुखराज ने कांग्रेस के भंवर बलाई को 5000 से ज्यादा वोटों से हराया था। हालांकि इस सीट पर कांग्रेस को सर्वाधिक 6 बार जीत हासिल हुई है। वहीं भाजपा इस सीट पर 2 बार ही जीत पाई है, जबकि दो बार यहां से जेएनपी उम्मीदवार जीतने में सफल रहा है। 
 
ओसियां विधानसभा सीट : ओसियां सीट पर वर्तमान विधायक दिव्या मदेरणा एवं भाजपा के भैराराम चौधरी एक बार फिर आमने सामने हैं। पिछले चुनाव में दिव्या ने तत्कालीन भाजपा विधायक भैराराम को 27 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। इस सीट पर कांग्रेस 7 बार चुनाव जीत चुकी है, जबकि भाजपा को यहां 2 बार ही जीत नसीब हुई है। एक बार जनता दल का उम्मीदवार भी यहां से चुनाव जीत चुका है। 
 
बिलाड़ा विधानसभा सीट : जोधपुर देहात की बिलाड़ा सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान विधायक हीराराम मेघवाल के स्थान पर मोहन लाल कटारिया को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा ने एक बार फिर अर्जुन लाल गर्ग पर दांव लगाया है। गर्ग पिछले चुनाव में 9000 से ज्यादा वोटों से हारे थे। हालांकि 2013 में अर्जुन लाल गर्ग ने हीराराम को करीब 10 हजार वोटों से हराया था। कांग्रेस इस सीट पर 6 बार चुनाव जीत चुकी है, जबकि भाजपा उम्मीदवार 3 बार जीतने में सफल रहे हैं। एक बार जनता दल उम्मीदवार भी यहां से जीत चुका है। 
 
लोहावट विधानसभा सीट : 2008 से अस्तित्व में आई इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस के किसनाराम बिश्नोई विधायक हैं। कांग्रेस ने एक बार फिर उन्हें टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने 2 बार के विधायक गजेन्द्र सिंह खिंवसर को उम्मीदवार बनाया है। खिंवसर 2018 का चुनाव 40 हजार से ज्यादा वोटों से हारे थे। 
 
सूरसागर विधानसभा सीट : भाजपा ने इस सीट पर वर्तमान विधायक सूर्यकांता व्यास के स्थान पर देवेन्द्र जोशी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने अल्पसंख्यक शहजाद खान को टिकट दिया है। 2008 से अस्तित्व में आई सीट पर भाजपा की सूर्यकान्ता व्यास ही लगातार जीतती आ रही हैं। उम्र अधिक होने कारण व्यास इस बार मैदान में नहीं है। वे 6 बार विधायक रह चुकी हैं। 
 
फलौदी विधानसभा सीट : सट्‍टे के लिए मशहूर फलौदी में भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक पब्बाराम बिश्नोई पर भरोसा जताया है। पिछले चुनाव में पब्बाराम ने कांग्रेस के महेश व्यास को 8000 से ज्यादा वोटों से हराया था। 2013 में पब्बाराम ने कांग्रेस के ओम जोशी को 34 हजार से भी ज्यादा वोटों से हराया था। कांग्रेस और भाजपा इस सीट पर 4-4 बार चुनाव जीत चुकी हैं। एक बार जेएनपी एवं एक बार निर्दलीय उम्मीदवार भी यहां से चुनाव जीत चुका है। 
 
लूणी विधानसभा सीट : कांग्रेस ने वर्तमान विधायक महेन्द्र बिश्नोई को उम्मीदवार बनाया है। इस बार भी उनका सामना भाजपा के जोगाराम पटेल से होगा। महेन्द्र पिछले चुनाव में 9000 से ज्यादा वोटों से जीते थे। वहीं 2013 में जोगाराम करीब 36000 वोटों से जीते थे। इस सीट पर ज्यादातर समय कांग्रेस का दबदबा रहा है। यहां 8 बार कांग्रेस उम्मीदवार ने चुनाव जीता है, जबकि भाजपा सिर्फ 2 बार ही चुनाव जीती है।

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