दुनिया के सबसे बड़े विधानसभा चुनाव क्षेत्र के रूप में जैसलमेर की छठा निराली है।
चुनाव खर्च पर चुनाव आयोग की बंदिशों के कारण राजनीतिक दल असहाय हैं, जबकि हकीकत यह है कि क्षेत्रफल के लिहाज से कई राज्यों को मात देने वाले इस रेगिस्तानी चुनाव क्षेत्र के गाँव-ढाणियों में फैले मतदाताओं तक पहुँचना खासा महँगा सौदा है।
गोवा, त्रिपुरा, नगालैंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, दिल्ली, अंडमान-निकोबार, दादर, नगर हवेली और लक्षद्वीप वगैरह से भी बड़ा है यह विधानसभा चुनाव क्षेत्र।
इसका क्षेत्रफल 28 हजार 875 वर्ग किलोमीटर है, जिसका करीब साढ़े चार सौ किलोमीटर भाग भारत पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा है।
विशाल रेगिस्तान में फैले इस विधानसभा क्षेत्र में सभी गाँव और ढाणियों तक पहुँचना उम्मीदवारों के लिए असंभव तो है ही कार्यकर्ताओं के लिए भी संभव नहीं है।
जैसलमेर के टैक्सी यूनियन के मानसिंह देवड़ा का कहना है कि विधानसभा क्षेत्र में करीब एक लाख 58 हजार 130 मतदाता हैं।
रेतीले धोरों पर आबादी छितरी होने के कारण प्रचार के लिए कम से कम 50 से 100 जीपें लगानी पड़ती है। मात्र एक ही विधानसभा क्षेत्र में लगने वाली इन जीपों पर हर रोज 10 से 18 लाख रुपए का खर्च बैठता है।