Raksha bandhan 2022 : रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र में मनाया जाता है। इस बार पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त 2022 गुरुवार को है। लेकिन कई विद्वानों का मानना है कि इस दिन भद्रा पूरे दिन रहेगा। राहुकाल और भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं होता है। आओ जानते हैं कि सभी कुछ विस्तार से।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 11 अगस्त को सुबह 10:38 से प्रारंभ।
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त।
भद्रा प्रारंभ : प्रात: 10:38 से शाम 08:50 तक है।
भद्रा पूंछ : भद्रा पूंछ समय शाम 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक।
भद्रा मुख : शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक।
भद्रा समापन : भद्रा का अंत समय रात 08 बजकर 50 मिनट पर है।
भद्रा पर 2 मत :
1. पहला मत : कुछ विद्वानों का मानना है कि भद्रा का विचरण यदि धरती या कहें कि मृत्युलोक में नहीं है तो वह अशुभ असर नहीं देती है। इस बार भद्रा का निवास पाताल लोक में है। ऐसे में भद्राकाल में भी राखी मनाई जा सकती है। यदि फिर भी शंका है तो भद्रा के पूंछ काल में या भद्रा के समाप्त होने के बाद राखी मनाई जा सकती है।
2. दूसरा मत : कुछ विद्वानों का मत है कि भद्रा का किसी भी लोक में निवास हो भद्राकाल में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। अत: भद्रा की समाप्ति के बाद ही राखी का पर्व मनाया जा सकता है।
भद्रा का असर होगा या नहीं?
1. जिस तरह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देता है तो उसका सूतककाल भारत में मान्य नहीं होता है। उसी तरह जब भद्रा का निवास धरती पर नहीं है तो उसका शुभ या अशुभ प्रभाव मान्य नहीं होता है।
2. मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है। चंद्रमा जब मेष, वृषभ, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है। कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा पाताल लोक में होती है। 11 अगस्त को भद्रा का पाताल लोक में वास है। जय मार्तण्ड पंचांग अनुसार जब भद्रा पाताल लोक में रहती है तो शुभ होती है।
3. भद्रा जिस लोक में रहती है, वहीं प्रभावी रहती है। इसी प्रकार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होगा तभी वह पृथ्वी पर असर करेगी अन्यथा नहीं। शास्त्र अनुसार जब भद्रा स्वर्ग या पाताललोक में होगी तब वह शुभ फलदायी होती है। जय मार्तण्ड पंचांग अनुसार भी जब भद्रा पाताल लोक में रहती है तो शुभ होती है।
5. मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार भद्रा का वास मृत्युलोक में है तो मांगलिक कार्य नहीं करते हैं लेकिन 11 अगस्त को भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा। भद्रा जिस लोक में निवास करती है, वहीं उसका असर होता है इसलिए भद्रा का असर पृथ्वी पर नहीं होगा।
6. राखी का त्योहार श्रावण पूर्णिमा तिथि के दिन श्रवण नक्षत्र में ही मनाया जाता है। 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि और नक्षत्र विद्यमान रहेगा, जबकि 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि त्रिमुहूर्ता है जो कि मान्य नहीं है।