तरावीह (रमजान की रातों में की जाने वाली विशेष नमाज या प्रार्थना जो चांदरात से यानी पहले रोजे की पूर्व संध्या/पूर्व रात्रि से शुरू हो जाती है और ईद का चांद दिखते ही, समापन हो जाता है) के साथ-साथ नवाफिल (विशिष्ट पुण्य की इबादत) पढ़ने और तिलावते-क़ुरआन (कुरआन का पठन-पाठन) का दौर जारी है।
एतेकाफ (मस्जिद के किसी कोने में एकांत-साधना और नमाज के वक्त शरई उसूल से समूह-प्रार्थना यानी बा-जमाअत नमाज पढ़ना) भी परवान पर है। यानी रोजा रखने वाले रोजादार, एतेकाफ करने वाले मोअतकिफ़ और नमाज पढ़ने वाले नमाजी और इबादत करने वाले आबिद (आराधक) मशगूल और मसरूफ (ध्यानस्थ और व्यस्त) हैं।