हजरत अली कौन थे? जानें कब मनाया जाता है इमाम अली का शहादत दिवस

WD Feature Desk

शुक्रवार, 21 मार्च 2025 (12:08 IST)
Shahadat Day : हज़रत अली का शहादत दिवस इस्लाम धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। 21वीं रमजान यानी हजरत के शहादत के मौके पर सुबह/ फज्र की नमाज अदा की जाती है। हज़रत अली, पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के चचेरे भाई और दामाद थे। उन्हें हजरत मोहम्मद पैगंबर के बाद सुन्नी मुसलमान के चौथे खलीफा के रूप में, जबकि शिया मुसलमान उन्हें पहले इमाम के रूप में मानते हैं। हजरत अली का जन्म मक्का शहर में हुआ था।ALSO READ: रमजान माह में रोजे क्यों रखे जाते हैं, इस्लाम धर्म में क्या है इसका महत्व, जानें 8 खास बातें
 
शहादत की घटना: हज़रत अली को 19 रमज़ान, 40 हिजरी (Islamic Calendar) में इराक के कूफा शहर की मस्जिद में नमाज की पहली रकअत का सजदा करते समय अब्दुर्रहमान इब्ने मुल्जिम नामक एक व्यक्ति ने ज़हर से डूबी तलवार से हमला किया था। गंभीर रूप से घायल होने के बाद, 21 रमज़ान को हज़रत अली शहीद हो गए थे। 
 
शहादत दिवस का महत्व: यह दिन हज़रत अली के न्याय, साहस, ज्ञान और धार्मिकता के प्रति समर्पण की याद दिलाता है। मुसलमान इस दिन उनकी शिक्षाओं और आदर्शों को याद करते हैं। इस दिन मस्जिदों में विशेष प्रार्थनाएं और सभाएं आयोजित की जाती हैं, जहां हज़रत अली के जीवन और शिक्षाओं पर चर्चा की जाती है। कई मुसलमान इस दिन दान और गरीबों की मदद करते हैं। हज़रत अली की शहादत इस्लामी इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, और उनकी शिक्षाएं आज भी मुसलमानों को प्रेरित करती हैं।
 
हजरत अली ने इस्लाम धर्म को आम लोगों तक पहुंचाया तथा उस वक्त इस्लाम की मदद के लिए वे आगे आए जब इस्लाम का कोई भी हमदर्द नहीं था। अत: उनके इसी इस्लाम के प्रति सेवाभाव को देखते हुए हजरत मुहम्मद साहब ने उन्हें खलीफा मुकर्रर किया।

शांति और अमन का पैगाम देने के साथ-साथ उन्होंने लोगों में राष्ट्रप्रेम का संदेश दिया तथा समाज से भेदभाव हटाने की कोशिश की। तथा यह भी कहा कि अपने शत्रु से भी प्रेम करो, तो वह भी एक दिन तुम्हारा दोस्त बन जाएगा। हजरत अली का कहना था कि अत्याचार करने वाला और उसमें सहायता करने वाला तथा अत्याचार से खुश होने वाला भी अत्याचारी ही होता है। साथ ही हजरत अली ने यह भी कहा था कि इस्लाम इंसानियत का धर्म है और वह अहिंसा के पक्ष में है। 
 
से इस्लाम धर्म के मसीहा अली इब्ने अबी तालिब यानी हजरत अली अ. की शहादत 21 रमजान/ माहे रमजान सन् 40 हिजरी को इराक के कूफा शहर में हो गई थी। और इसी कारण रमजान माह के दौरान 21 रमजान को उनकी शहादत के रूप में मनाया जाता है। 

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