घर में राम जी की मूर्ति स्थापना करने के पहले जान लें नियम

WD Feature Desk

बुधवार, 24 जनवरी 2024 (16:09 IST)
Ram lala Pran Pratistha: यदि आप घर में श्री राम जी की मूर्ति स्थापना करना चाहते हैं तो जरूरी है कि प्रतिमा स्थापना के नियम आप जा लें। यदि नियमपूर्वक कार्य करेंगे तो श्री राम आपके घर में साक्षात विराजमान हो जाएंगे। उन्हीं के साथ ही हनुमानजी, लक्ष्मण जी, सीता जी और गरूड़ भी विराजमान हो जाएंगे। आओ जानते हैं मूर्ति स्थापना की सरल विधि।

राम मूर्ति स्‍थापना के नियम:-
1. गणेश वंदना 
2. मंगलल प्रवेश
3. मूर्ति स्नान
4. मूर्ति को आसन पर विराजमान करना
5. मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा करना
6. मूर्ति पूजा करना
7. मूर्ति की आरती करना
8. प्रसाद वितरण
9. ब्राह्मण भोज
10. मूर्ति शयन आरती
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कैसे करें राम मूर्ति प्रतिमा की स्थापना, मंगल प्रवेश ?- Ganesh murti sthapana vidhi:
 
1. पहले गणेश वंदना करें फिर मंगल प्रवेश कराएं। मूर्ति लाने के पूर्व घर और द्वार को सजाएं और पूजा की तैयारी कर लें।
 
2. फिर विधिवत रूप से जयकारे के साथ रामजी का घर में मंगल प्रवेश कराएं। मंगल गीत गाएं और आरती उतारें।
 
3. मूर्ति को स्थापित करने के पूर्व उत्तर या ईशान कोण को साफ करके कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और हल्दी से चार बिंदी बनाएं।
 
4. फिर एक मुट्ठी अक्षत रखें और उस पर लकड़ी का एक पाट रखें और उस पर लाल, पीला या केसरिये रंग का सूती कपड़ा बिछाएं।
 
5. पाट के सामने रंगोली बनाएं। तांबे के कलश में पानी भरकर उसमें आम के पत्ते रखें और उस पर नारियल रखें। कलश को मौली बांधें।
 
6. आसपास सुगंधित धूप, दीप, अगरबत्ती, आरती की थाली, आरती पुस्तक, प्रसाद आदि पहले से रख लें।
 
7. ॐ राम रामाय नमः पुनातु, ॐ ॐ राम रामाय पुनातु, ॐ ॐ राम रामाय पुनातु बोलकर मूर्ति को स्थापित करने के पूर्व निम्न मंत्र बोलें।
 
8. फिर स्थापना के दौरान यह मंत्र बोलें- रां रामाय नमः आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
 
9. अब परिवार के सभी सददस्य एकत्रित होकर ॐ रां रामाय नमः का उच्चारण करते हुए प्रतिमा को पाट पर विराजमान करें और जय श्रीराम का जयघोष करें।
 
10. अब श्रीराम जी की विधिवत पूजा करके आरती करें और प्रसाद बांटें।
कैसे करें रामजी की पूजा?- ganesh chaturthi puja vidhi in hindi : 
 
पूजा सामग्री : सबसे पहले गणेशजी की पूजा के लिए पूजा सामग्री एकात्रित कर लें। जैसे माला, फूल, अक्षत, पंचामृत, कंकू, हल्दी, मिठाई, लड्डू, धूप, दीप, अगरबत्ती, दीपक, चौकी या आसन, कलश, नारियल, आम के पत्ते, केले के पत्ते, दूर्वा, जनेऊ, सिन्दूर, अबीर, गुलाल, सुगंधित (इत्र), ऋतुफल, लौंग-इलायची, सुपारी, आदि।
 
1. आसन या चौकी पर विधिवत विराजमान या स्थापित करने के बाद उनकी पंचोपचार या षोडोषपचार पूजन की शुरुआत करें।
 
2. पहले मुट्ठीभर चावल के उपर जल भरा कलश स्थापित करें और उसमें आम के पत्ते रखें और उसके उपर नारियल। कलश की पूजा करें। 
 
4. अब केले के पत्तों से पूजा स्थल को सजाएं। 
 
4. अब धूप दीप प्रज्वलित करें और फिर उन्हें माला पहनाएं। 
 
5. माला पहनाने के बाद उन्हें तिलक लगाएं, फूल अर्पित करें और फिर एक-एक करके सभी पूजा सामग्री अर्पित करें।
 
6. फिर उन्हें उनकी पसंद का भोग और नैवेद्य लगाएं।
 
7. उनके बाद उनकी आरती उतारें।
 
8. आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरण करें।
 
9. अंत में चतुर्थी की कथा सुनें और यदि व्रत रख रखा है तो फलाहार ग्रहण करें।
पूजन की शास्त्रोक्त विधि:-  
 
आचमन- ॐ केशवाय नम:। ॐ नारायणाय नम:। ॐ माधवाय नम:। 
 
कहकर हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें एवं ॐ ऋषिकेशाय नम: कहकर हाथ धो लें।
 
इसके बाद प्राणायाम करें एवं शरीर शुद्धि निम्न मंत्र से करें। (मंत्र बोलते हुए सभी ओर जल छिड़कें)...।
 
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।
 
सावधानियां:-
रामजी के स्थान के उलटे हाथ की तरफ जल से भरा हुआ कलश चावल या गेहूं के ऊपर स्थापित करें। धूप व अगरबत्ती लगाएं। कलश के मुख पर मौली बांधें एवं आमपत्र के साथ एक नारियल उसके मुख पर रखें। नारियल की जटाएं सदैव ऊपर रहनी चाहिए। घी एवं चंदन को ताम्बे के कलश में नहीं रखना चाहिए। राम जी के स्थान के सीधे हाथ की तरफ घी का दीपक एवं दक्षिणावर्ती शंख रखना चाहिए। सुपारी गणेश भी रखें।  
 
पूजन के प्रारंभ में हाथ में अक्षत, जल एवं पुष्प लेकर स्वस्तिवाचन, गणेश ध्यान एवं समस्त देवताओं का स्मरण करें। अब अक्षत एवं पुष्प चौकी पर समर्पित करें। इसके पश्चात एक सुपारी में मौली लपेटकर चौकी पर थोड़े-से अक्षत रख उस पर वह सुपारी स्थापित करें। भगवान गणेश का आह्वान करें। रामजी के आह्वान के बाद कलश पूजन करें। कलश उत्तर-पूर्व दिशा या चौकी की बाईं ओर स्थापित करें। कलश पूजन के बाद दीप पूजन करें। इसके बाद पंचोपचार या षोडषोपचार के द्वारा गणेश पूजन करें। परंपरानुसार पूजन करें। आरती करें।
 
पूजन : 
पंचोपचार पूजन- 1. गंध, 2. पुष्प, 3. धूप, 4. दीप, 5 नैवेद्य।
 
षोडषोपचार पूजन-
1. आह्वान
2 आसन (स्थान ग्रहण कराएं),
3 पाद्य (हाथ में जल लेकर मंत्र पढ़ते हुए प्रभु के चरणों में अर्पित करें)
4. अर्घ्य (चंद्रमा को अर्घ्य देने की तरह पानी छोड़ें)
5 आचमनीय (मंत्र पढ़ते हुए 3 बार जल छोड़ें)
6. स्नान (पान के पत्ते या दूर्वा से पानी लेकर छींटें मारें)
7. वस्त्र (सिलेसिलाए वस्त्र, पीताम्बरी कपड़ा या कलावा)
8. यज्ञोपवीत (जनेऊ)
9. आभूषण (हार, मालाएं, पगड़ी आदि)
10. गंध (इत्र छिड़कें या चंदन अर्पित करें)
11. पुष्प
12.  धूप
13. दीप
14. नैवेद्य (पान के पत्ते पर फल, मिठाई, मेवे आदि रखें।)
15. ताम्बूल (पान चढ़ाएं)
16. प्रदक्षिणा व पुष्पांजलि।

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