उम्र 8 साल, हाथ का वजन 8 किलो!

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आठ वर्षीय कलीम के माता-पिता बड़ी मुश्किल से प्रतिमाह 1500 रुपए कमाते हैं। और वह अपने बहुत बड़े और विचित्र हाथों के कारण बहुत सारे छोटे-मोटे काम भी नहीं कर पाता है। उसके हाथ इस हद तक फूल गए हैं कि इन्हें देखकर डॉक्टर भी आश्चर्यचकित हैं और उनकी भी समझ में नहीं आ रहा है कि उसे कौन सी बीमारी है। उसका एक-एक हाथ आठ-आठ किलो का है और प्रत्येक की हथेली से मध्यमा की लम्बाई 13 इंच तक लम्बी है।

क्रिकेट का शौकीन कलीम स्कूल नहीं जाता क्योंकि अध्यापकों का कहना है कि उसके हाथों को देखकर बच्चे डर जाते हैं, जबकि इन हाथों से वह जूतों का फीता भी नहीं बांध पाता है। वह अपने कपड़े नहीं पहन पाता, बटन नहीं लगा सकता और अपनी पेंट को ऊपर तक नहीं खींच सकता है। दूसरे बच्चे उसकी इस विकृति के कारण उसे पीटते हैं। उसके माता-पिता बच्चे का इलाज कराने के लिए परेशान हैं, लेकिन उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिल पा रही है।

कलीम की मां हलीमा (27) का कहना है कि उसे बच्चे के जन्म के समय से ही पता था कि वह अलग है, लेकिन वह कुछ भी नहीं कर सकती थीं। उनका कहना था कि जब कलीम पैदा हुआ था तब उसके हाथ किसी आम बच्चे की तुलना में दोगुने बड़े थे। उसकी उंगलियां बड़ी थीं। उसकी मुट्‍ठी शुरुआत में छोटी थी, लेकिन बाद में बड़ी होती गई। उसके पिता शमीम (45) एक श्रमिक हैं। वे अपने बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित हैं और इसके लिए खुद को दोषी मानते हैं क्योंकि वे अधिक पैसा नहीं कमा पाते हैं।

स्कूल के हैडमास्टर ने क्या कहा... पढ़ें अगले पेज पर...


उल्लेखनीय है कि कलीम बड़ी मुश्किल से दो उंगलियों की मदद से गिलास पकड़ कर पानी पी सकता है, लेकिन खाना उसे माता-पिता ही खिलाते हैं। कलीम के अन्य भाई बहन सामान्य हैं। उसके पिता का कहना है कि हम उसको अस्पताल में दिखाना चाहते हैं, लेकिन कम पैसों के कारण उसकी मां को दूसरों से भी पैसे मांगने पड़े। ऐसी हालत में उसका इलाज कराना मुश्किल है। उन्होंने बच्चे को स्कूल में दाखिल कराना चाहा, लेकिन स्कूल के हैडमास्टर का कहना था कि पहले यह लिखकर दो कि स्कूल के बच्चों को उससे कोई परेशानी नहीं होगी।

एक स्थानीय अस्पताल के निदेशक का कहना है कि यह एक अत्यंत दुर्लभ स्थिति है और उसकी बीमारी का पता लगाने के लिए समुचित जैनेटिक टेस्टिंग की जरूरत होगी तभी पता लग सकेगा कि कलीम की इस विकृति की असली वजह क्या है। गुड़गांव के अत्याधुनिक अस्पताल फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्‍यूट के डॉक्टर कृष्ण चुघ का कहना है कि वह लिम्फैंगिओमा या हमारतोमा का शिकार है। डॉक्टरों की बातों से कलीम के माता-पिता का मानना है कि किसी दिन उनके बेटे का भी इलाज किया जा सकेगा।

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