राज्य सरकार के अतिविशिष्ट व्यक्तियों को हवाई यात्रा कराने वाले राजकीय विमानों के पायलटों को राजकीय उड्डयन विभाग द्वारा संविदा पर रखे जाने से वीआईपी लोगों की हवाई सुरक्षा जोखिमभरी हो गई है।
राज्य सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा अब राजकीय पायलटों की जगह संविदा पर अवकाश प्राप्त पायलटों का चयन करने से राज्य एवं देश की प्रमुख खुफिया एजेंसियाँ परेशान हैं।
उल्लेखनीय है कि राजकीय विमानों से प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्य सचिव सहित अनेक महत्वपूर्ण हस्तियाँ हवाई यात्राएँ करते हैं।
पिछले दिनों देश की खुफिया एजेंसियों के हवाले से हवाई अड्डों पर आतंकी साये के खतरे को बराबर आगाह किया जा रहा है। इधर विश्वव्यापी आतंकवाद की तेजी से बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर वीआईपी की सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा हो रही है। ऐसे में इन अतिविशिष्ट लोगों की हवाई सुरक्षा को लेकर सुरक्षा एजेंसियाँ बेचैन हैं।
राज्य सरकार के पास अभी 6 राजकीय विमान हैं। इनमें चार एयरक्राफ्ट और दो हेलिकॉप्टर हैं। इसके अलावा एक जेट एयरक्रॉफ्ट और एक बेल हेलिकॉप्टर का सौदा परवान पर है। इन विमानों को उड़ाने के लिए विभाग में पाँच पायलट हैं। इनमें से तीन फिक्स्ड विंग और दो हेलिकॉप्टर विंग के हैं।
आश्चर्य है कि एयरक्रॉफ्ट उड़ाने वाले तीनों पायलट संविदा पर नियुक्त हैं और दो पायलट अनजीतसिंह और वीवी सिंह 60 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। राजकीय विमान की बागडोर पायलट अनजीतसिंह, वीवी सिंह और अजय के. पांडेय जो कि संविदा पर हैं, उनके हवाले है।
हेलिकॉप्टर पायलट विंग कमांडर आरएन सेनगुप्ता और प्रज्ञेश मिश्रा ही सिर्फ राजकीय पायलट के रूप में विभाग में बचे हैं, जिनसे विमान न के बराबर ही उड़वाया जा रहा है।
उड्डयन विभाग में परिस्थितियाँ इस प्रकार निर्मित की जा रही हैं कि राजकीय पायलट अपने को असुविधा में महसूस कर रहे हैं और उन पर भी वीआरएस लेने और संविदा पर काम करने का दबाव बनाया जा रहा है। इस संवाददाता को पता चला है कि अज्ञात दबावों के चलते विंग कमांडर आरएन सेनगुप्ता ने तो अपने रिटायरमेंट से दो वर्ष पूर्व ही वीआरएस हेतु विभाग में आवेदन कर दिया।
सुरक्षा में सेंध : राज्य के वीआईपी की हवाई सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों, इसके लिए उनकी हवाई यात्रा से पहले विमानों में एंटीसेबोटॉज चेकिंग करने की व्यवस्था है। राज्य की सुरक्षा शाखा से बाकायदा एक उपाधीक्षक स्तर का अधिकारी व कर्मचारी, डॉग स्क्वॉड तथा नागरिक उड्डयन विभाग भारत सरकार के कर्मचारी विमानों की विधिवत जाँच करते हैं, किन्तु समझा जाता है कि उन्होंने यह जानने की कभी कोशिश नहीं की कि क्या विमान उड़ाने वाला पायलट भी सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त है!
पायलट संविदा पर है या राजकीय पायलट? क्या पायलट स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से फिट है? क्या अधिक आयु के कारण अवकाश ग्रहण करने के बाद भी वह मुख्य पायलट सीट पर बैठकर विमान उड़ा सकता है? क्या अवकाश प्राप्त पायलट के साथ उड़ान के समय कॉकपिट में को-पायलट है या नहीं?
भारत सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा नियम है कि 60 वर्ष की आयु से अधिक आयु वाले पायलट के साथ उड़ान के समय एक को-पायलट (60 वर्ष से कम उम्र का) होना अनिवार्य है, किन्तु क्या इस नियम का राजकीय विमानों की उड़ानों में पालन हो रहा है?
अयोग्य पायलट को नियुक्ति : पता चला है कि राजकीय विमानों को उड़ाने के लिए वर्षों पहले ग्रुप कैप्टन एसएम अली अमीर जो कि भारतीय वायुसेना से राजकीय पायलट बनकर आए थे, वर्ष 1993 में उनको डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन द्वारा स्थायी रूप से मेडिकल ग्राउंड पर अनफिट करार कर दिया गया था, किन्तु इसके बाद भी प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव ने वर्ष 1996 में ग्रुप कैप्टन एसएम अली अमीर को सरकारी पायलट के एक रिक्त पद पर तीन वर्ष के लिए संविदा पर नियुक्त कर दिया था।
यह भी आश्चर्य है कि इसी विभाग से अवकाश प्राप्त पायलट पीसीएफ डिसूजा को विभाग ने उपकृत करने के लिए प्रबंधक पद पर संविदा पर ऊँचे वेतनमान पर रख लिया है और उनसे भी अकसर विमान उड़वाए जाते हैं।
जानकारों ने बताया कि राजकीय विमानों को उड़ाने से पहले यदि निर्धारित प्रपत्र में सब बातें अंकित हों तो सुरक्षा के साथ हवाई यात्रा और भी सुगम हो सकती है। उम्मीद की जाती है कि राजकीय उड्डयन विभाग द्वारा फ्लाइट रिपोर्ट बुक कम जर्नी लॉग बुक में स्माल एयरक्रॉफ्ट सेफ्टी कमेटी, डीजीसीए भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत सभी नियमों का पालन जरूर होता होगा।