उन्होंने कहा कि ऐसे मदरसों में जहां औपचारिक शिक्षा नहीं प्रदान की जाती है, वहां पढने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा। ऐसा करने के पीछे हमारा मकसद केवल इतना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के प्रत्येक बच्चे को सीखने और मुख्यधारा में आने का मौका मिले, उसे अच्छी नौकरी मिले और उसका भविष्य उज्जवल हो।