Uttarkashi Tunnel Accident : टनल में फंसीं 41 जिंदगियों के लिए 8वें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, सरकार ने बनाई यह योजना

Webdunia
रविवार, 19 नवंबर 2023 (22:48 IST)
Uttarkashi tunnel crash :  सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार 12 नवंबर से उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रतिबद्ध है और वह इसके लिए पांच-विकल्प वाली कार्ययोजना पर काम कर रही है। बचाव अभियान आठवें दिन भी जारी रहा।
 
इस बीच जैन ने उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान पर अद्यतन जानकारी मुहैया कराने के लिए एक वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा कि सरकार सभी मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रतिबद्ध है और केंद्र श्रमिकों को मल्टीविटामिन, अवसादरोधी दवाएं और सूखे मेवे भेज रहा है।
 
उन्होंने कहा कि पांच विकल्प तय किए गए हैं और इन विकल्पों को पूरा करने के लिए पांच अलग-अलग एजेंसियां तय की गई हैं। पांच एजेंसियां अर्थात् तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल), रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल), राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) और टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसीएल) को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
 
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘आलवेदर सड़क’ (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है।
 
सुरंग का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के तहत किया जा रहा है। निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर से मुहाने से 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा पिछले रविवार सुबह करीब साढ़े 5 बजे ढह गया था और तब से श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं। उन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान चलाया जा रहा है।
 
बचाव अभियान शुक्रवार दोपहर को निलंबित कर दिया गया था जब श्रमिकों के निकलने का मार्ग तैयार करने के लिए ड्रिल करने के वास्ते लगायी गई अमेरिका निर्मित ऑगर मशीन में खराबी आ गई। इसके बाद चिंता बढ़ गई।
 
जैन ने बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा केवल एक दिन में एक पहुंच मार्ग का निर्माण पूरा करने के बाद आरवीएनएल ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए एक और लम्बवत पाइपलाइन पर काम करना शुरू कर दिया है।
 
इसके अलावा, टिहरी जलविद्युत विकास निगम (टीएचडीसी) बड़कोट छोर से 'माइक्रो टनलिंग' का काम शुरू करेगा, जिसके लिए भारी मशीनरी पहले ही जुटाई जा चुकी है। टीएचडीसी आज रात से ही कार्रवाई शुरू कर देगा।
 
फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए एसजेवीएनएल लंबवत ड्रिलिंग करेगा। तदनुसार, रेलवे के माध्यम से गुजरात और ओडिशा से उपकरण जुटाए गए हैं क्योंकि 75-टन उपकरण होने के कारण इसे हवाई मार्ग से नहीं ले जाया जा सकता था।
 
गहरी ड्रिलिंग में विशेषज्ञता रखने वाला ओएनजीसी ने बरकोट छोर से लंबवत ड्रिलिंग का शुरुआती काम भी शुरू कर दिया है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार सभी मजदूरों को सुरक्षित निकलने के लिए प्रतिबद्ध है। हम उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को मल्टीविटामिन, अवसाद रोधी दवाएं और सूखे मेवे भेज रहे हैं।’’
 
केंद्र सरकार ने शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की थी, जिसमें श्रमिकों को बचाने के लिए पांच विकल्पों पर विभिन्न एजेंसियों के साथ चर्चा की गई जिन्हें विशिष्ट विकल्पों पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपा गयी थी।
 
एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय का प्रभारी बनाया गया है और उन्हें सिलक्यारा में तैनात किया गया है।
 
जैन ने कहा कि सरकार लगातार संपर्क बनाए हुए है और सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों का मनोबल बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘जिस क्षेत्र में मजदूर फंसे हुए हैं, वह 8.5 मीटर ऊंचा और दो किलोमीटर लंबा है। इसमें सुरंग का निर्मित हिस्सा शामिल है जहां कंक्रीटिंग का काम पूरा हो गया है, जिससे श्रमिकों को सुरक्षा मिल रही है।’’
 
जैन ने कहा कि एनएचआईडीसीएल खाद्य सामग्री श्रमिकों तक पहुंचाने के लिए छह इंच की एक और पाइपलाइन बना रहा है और 60 मीटर में से 39 मीटर की ड्रिलिंग का काम पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘एक बार इस सुरंग के तैयार हो जाने पर, इससे अधिक खाद्य सामग्री पहुंचाने में सुविधा होगी।’’
 
वहीं, उत्तराखंड पहुंचे केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है और उन्हें जल्द बाहर निकालना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है ।
 
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मौके पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विषम हिमालयी परिस्थितियों को देखते हुए बचाव अभियान चुनौतीपूर्ण है ।
 
उन्होंने कहा कि यहां मिट्टी का स्तर एक समान नहीं है और यह मुलायम और कठोर दोनों है जिससे यांत्रिक अभियान चलाया जाना मुश्किल है। एजेंसियां 

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