सांत्वना देने वालों का लगा तांता : शहीद के परिजनों को सांत्वना देने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, पुलिस-प्रशासन, सैन्य अधिकारियों सहित सगे-संबधियों का आना-जाना लगा हुआ है। राजौरी में आतंकियों के हाथों शहीद हुए कैप्टन शुभम का चयन 2015 में सैन्य फोर्स के लिए हुआ। आर्मी में सेवा देते हुए उनको 2018 में प्रमोशन मिला और वे बतौर कैप्टन नाइन पैरा शामिल हुए।
सर्च ऑपरेशन की फायरिंग में हुए शहीद : वर्तमान में उनको जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया था, बुधवार को धर्मसाल के बाजीमाल क्षेत्र में आतंकी छिपे होने की सूचना पर वह अपनी टीम के साथ सर्च ऑपरेशन के लिए पहुंच गए। सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के इस सघन सर्च ऑपरेशन के दौरान जंगल में छिपे आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी जिसमें कैप्टन शुभम सहित 3 अन्य सैन्यकर्मी शहादत दे बैठे।
परिवार हुआ बदहवास : कैप्टन इस दुनिया को अलविदा कह गए, यह सूचना सेना के अधिकारियों द्वारा परिवार को दी गई तो वह बदहवास हो गया। परिवार सहित आसपास के लोग गमहीन हो गए। आगरा जिले के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी और बीजेपी मंत्री एसपी सिंह बघेल, सांसद राजकुमार चाहर, एमएलसी विजय शिवहरे, विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल शहीद के घर सांत्वना देने पहुंच गए।
NDA क्लीयर कर सेना में शामिल : 27 वर्षीय कैप्टन शुभम अविवाहित थे। परिजनों का कहना है कि वह बहुत होनहार था। एक बार में NDA क्लीयर करके सेना में शामिल हुआ और 3 वर्ष में कैप्टन बन गया। शुभम कमांडो की परीक्षा भी क्लीयर कर चुका था। इसी दिसंबर में उसका प्रमोशन होना था। कैप्टन के ताऊ का कहना है कि उसका स्वप्न था कि वह जनरल बनकर देश की सेवा करे।
25 नवंबर को आगरा आने वाले थे लेकिन... : 13 नवंबर में उसने अपने अंकल से फोन पर कहा था कि वह एक गुप्त मिशन में लगा हुआ है, जो पूरा होने वाला है और वह 25 नवंबर को आगरा रवाना होगा। लेकिन 25 नवंबर से 2 दिन पहले ही कैप्टन शुभम का शव उनके परिवार के पास पहुंच रहा है। आगरा के डीजीसी (क्राइम) बसंत कुमार को अपने बेटे शुभम की शहादत पर गर्व है कि वह देश के लिए बलिदान हो गया।