कानून व्यवस्था पर लम्बे-लम्बे भाषण देने वाले मुख्यमंत्री खुद अपने प्रदेश को सम्हालने में विफल रहे हैं। वे दूसरे प्रदेशों में जाकर अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। उनके मुख्यमंत्री रहते प्रदेश बदनामी और बदहाली से उबर नहीं पाएगा।चारों तरफ जंगलराज है।राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते प्रशासन तंत्र पूर्णतया निष्क्रिय हो चला है।
कानून व्यवस्था की दशा तो यह है कि विधान भवन के सामने ही एक दारोगा ने खुद को गोली मार ली। लोक भवन के सामने आत्मदाह का प्रयास करने वालों की भी संख्या कम नहीं रही है। सम्भल में दुष्कर्म पीडि़ता को लगातार मिल रही धमकी, न्याय न मिलने के चलते खुदकुशी की घटना दुःखद है, साथ ही अत्याचार की सभी हदें पार होने का नमूना भी।
भाजपा सरकार ने इन योजनाओं पर भी पानी फेर दिया है और अब वह पिंक बूथ, नारी शक्ति जैसे टोटकों से लोगों को बहकाने में लगी है।गम्भीर मामलों में भी पुलिस का ढुलमुल रवैया, रफादफा करने में ही रहता है।कहां है मिशन शक्ति? कहां है एन्टी रोमियों स्क्वायड?फरियादी को टरकाते रहेंगे फिर कैसे मिलेगा न्याय और कैसे रूकेगा अपराध?