सामने आया अंकिता के आखिरी कॉल का ऑडियो, रोते हुए मांगा बैग

एन. पांडेय

रविवार, 25 सितम्बर 2022 (13:07 IST)
देहरादून। अंकिता भंडारी हत्याकांड में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद भी परिजन ने उसका अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। इस बीच अंकिता का एक ऑडियो भी सामने आया है। यह अंकिता का अंतिम कॉल था जो उसने रिजॉर्ट के कुक करण को किया था। ऑडियो में अंकिता रोते हुए करण को कह रही है कि वो उसका बैग लेकर ऊपर दुकान तक पहुंचा दो। इसके बाद फोन कट जाता है। करण का कहना है कि वो बैग लेकर अंकिता की बताई हुई जगह पर गया था लेकिन वहां कोई नहीं था।
 
अंकिता भंडारी की प्रोविशनल पोस्टमार्टम में मृत्यु से पहले मारपीट की पुष्टि हुई और डूबने को मृत्यु का कारण बताया गया है। शनिवार को एम्स के चार चिकित्सकों के पैनल ने अंकिता भंडारी के शव का पोस्टमार्टम किया था। अंकिता का शव देर शाम ऋषिकेश से श्रीनगर पहुंचा दिया गया था।  लोगों में गुस्से को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात है।
 
अंकिता के पिता पोस्टमाटर्म की अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही उसके अंतिम संस्कार करने पर अड़े हैं। उनको समझाया जा रहा है। अंकिता के पिता ने रिसोर्ट में बुलडोजर चलाने पर भी सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने ऐसा अपने नेता के बेटे को बचाने और सबूत नष्ट करने की नियत से किया है।
 
राजस्व पुलिस समाप्त करने की मांग : अंकिता हत्याकांड के बहाने उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त करने की मांग फिर से उठने लगी है। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी ने इस मांग का पुरजोर समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजा है। हाईकोर्ट ने भी एक फैसले को सुनाते वक्त उत्तराखंड सरकार को आदेश दिया था कि प्रदेश से राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त कर अपराध विवेचना का काम सिविल पुलिस को सौंपा जाए।
 
इस आदेश के पालन के लिए कोर्ट ने 6 माह की समय अवधि भी निर्धारित की। इसी क्रम में पुलिस मुख्यालय ने अप्रैल 2018 में शासन को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें राजस्व क्षेत्र में रेग्युलर पुलिस व्यवस्था का खाका तैयार इसकी स्वीकृति मांगी गई थी। लेकिन अब तक सरकार ने इस प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
 
पुलिस मुख्यालय से भेजे गये प्रस्ताव में कहा गया था कि राजस्व क्षेत्र में लगभग 8500 राजस्व गांव हैं। इनमें से 3000 गांवों रेग्युलर पुलिस क्षेत्र से सटे हैं जिनमें नए थाना-चौकी खोले जाने की जरूरत नहीं है। सीमावर्ती थानों में इन्हें आसानी से समाहित किया जा सकता है। शेष 5500 गांवों के लिए 17 नए थाने और 70 चौकियां खोली जानी प्रस्तावित की गई थीं। उत्तराखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां के 58 फीसद हिस्से की कानून व्यवस्था आज भी राजस्व पुलिस के हवाले है।

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