मुंबई। सतारा जिले का एक गांव स्ट्रॉबेरी के लिए काफी लोकप्रिय है लेकिन अब यह गांव किताबों के कारण भी लोकप्रिय होने जा रहा है। दरअसल इस गांव को भारत का पहला ‘किताबों का गांव’ वाला टैग मिलने वाला है। यह अवधारणा ब्रिटेन के वेल्स शहर के हे-ऑन-वे से प्रभावित है। यह अपने पुस्तक भंडारों और साहित्य महोत्सवों के लिए जाना जाता है।
शिक्षामंत्री विनोद तावड़े के नेतृत्व में इस परियोजना पर मराठी भाषा विभाग काम कर रहा था। गांव के आसपास किताबें पढ़ने के लिए 25 जगहों को चुना गया है। यहां साहित्य, कविता, धर्म, महिला, बच्चों, इतिहास, पर्यावरण, लोक साहित्य, जीवन और आत्मकथाओं की किताबें होंगी।
तावड़े ने कल यहां बताया, करीब 15,000 किताबें (मराठी में) इस गांव के परिसर में उपलब्ध कराई जाएंगी। राज्य सरकार ने मराठी भाषा दिवस पर 27 फरवरी 2015 को इस तरह के किताब गांव और साहित्य उत्सव आयोजित करने की योजना की घोषणा की थी।
तावड़े ने कहा, अब हम यह उन लोगों के लिए खोल रहे हैं, जिन्हें भाषा और साहित्य से प्रेम है। उन्होंने कहा कि सरकार गांव में साहित्य महोत्सव आयोजित कराने की योजना बना रही है। (भाषा)