Ground Report: उत्तराखंड में पहाड़ों के गांव भी आ रहे हैं Corona के घेरे में

निष्ठा पांडे

शुक्रवार, 14 मई 2021 (20:07 IST)
देहरादून। उत्तराखंड देश के चुनिंदा ऐसे राज्यों में शामिल हो गया है, जहां जनसंख्या के लिहाज से सबसे ज्यादा कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमित मिल रहे हैं। प्रदेश में मृत्यु दर अन्य हिमालयी राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। अन्य सभी राज्यों में मृत्यु दर के मामले में राज्य नौवें नंबर पर है। पिछले कुछ समय से प्रदेश में कोरोना के कारण मरने वालों की संख्या लगातार ज्यादा बनी हुई है।
 
कोरोना संक्रमण के मामलों को लेकर राज्य सरकार की ओर से गठित की गई विशेषज्ञ समिति तक कह रही है कि नए संक्रमण के कारण 50 से कम उम्र के लोगों में मृत्यु दर अधिक है। सामने आया है कि हिमालयी राज्यों में सबसे अधिक मृत्यु दर उत्तराखंड में ही है। उत्तराखंड में प्रति लाख मरने वालों की संख्या करीब 37 है। उत्तर प्रदेश में यह दर मात्र 8 और हिमाचल में 26 है।

रोज 7-8 हजार मामले : राज्य में 7 से 8 हजार कोरोना के नए मामले सामने आ रहे है। चिंता की बात ये है कि कोरोना पहाड़ के गांवों को भी लगातार घेरता जा रहा है। प्रदेश में सैंपल पॉजिटिव दर भी 6.25% है। 1 से 10 मई के बीच प्रदेश में 27.6 फीसद मामले 9 पर्वतीय जिलों से आए हैं। पहाड़ पर पहले से ही स्वास्थ्य सेवाएं चौपट हाल में हैं। इससे सरकार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। 
 
मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पहले ही यहां लोगों ने पलायन का रास्ता चुना था, लेकिन अब कोरोना की मार ने उन्हें बुरी तरह से झकझोर दिया है। पहाड़ों के तमाम गांव में बुखार-सर्दी-जुखाम के लक्षणों वाली बीमारी का बोलबाला है। लेकिन कोरोना टेस्टिंग न होने से यह पता नहीं चल रहा कि लोग कोरोना से पीड़ित हैं या किसी अन्य बीमारी से।
 
कोरोना से पहाड़ों में जांच अब भी बेहद कम की जा रही है। लोगों का कहना है कि शादी विवाह में शामिल होने आए लोगों की वजह से भी संक्रमण का फैला है। बृहस्पतिवार को सीमावर्ती चमोली जिले में 297 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव मिली थी। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में अब तक 7932 लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। जिनमें से 5 हजार 460 लोग स्वस्थ्य हो चुके है और 2264 केस एक्टिव हैं।
 
गांवों में सैंपलिंग : स्वास्थ्य विभाग की मोबाइल टीमें गांव-गांव जाकर कोरोना टेस्ट के लिए ग्रामीणों का सैंपल लेने में लगी हैं। बुधवार को स्वास्थ्य टीमों ने दशोली ब्लॉक के दुर्मी, पगना, गौणा व डिडोली में 64, जोशीमठ ब्लॉक के कलगोठ में 180, घाट ब्लाक के मोख मल्ला, बांसवाडा, सेरा, कांडई, चेरी में 367, कर्णप्रयाग ब्लॉक के कालेश्वर, उमट्टा, सिमली व एसडीएच में 108, पोखरी ब्लाक के सिंवाई, ब्राहमणथाला में 161, गैरसैंण ब्लॉक के रामडा तल्ला, जिनगोड में 141, देवाल ब्लॉक के पूर्णा में 50, थराली ब्लॉक के ग्वादम मार्केट व बैरियर पर 57 तथा नारायणगड़ ब्लॉक के अंगोठा, ऐना में 103 तथा जिला चिकित्सालय में 12 सहित 1243 लोगों के सैंपल लिए।

गौचर बैरियर पर अब तक 1429, गैरसैंण बैरियर पर 744 तथा ग्वालदम बैरियर पर 48 लोगों का रैपिड एंटीजन टेस्ट किया जा चुका है। कोविड संक्रमण के उपचार के लिए 79 मरीजों कोविड सेंटर में रखा गया है। इसके अलावा 1405 मरीजों को होम आइसोलेट किया गया है। गांव में आशा, आंगनबाड़ी तथा ग्राम प्रधानों के माध्यम से होम आइसोलेट लोगों के स्वास्थ्य संबधी देखभाल की जा रही है। ब्लॉक एवं सिटी रिस्पॉन्स टीमों द्वारा भी विभिन्न क्षेत्रों से कोरोना संक्रमण पर निगरानी रखी जा रही है।
 
जिले में विभिन्न स्थानों पर 8 कंटेनमेंट जोन बनाकर बैरिकेडिंग की गई है। कंटेनमेंट जोन में नियमित सेनेटाइजेशन भी किया जा रहा है और एसडीएम माध्यम से इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है।पौड़ी जिले के बेस अस्पताल श्रीनगर में गुरुवार को 8 कोरोना मरीजों की मौत हुई। यहां एंबुलेंस चालक द्वारा 3 किलोमीटर के 6 हजार रुपए लिए जाने कि भी बात सामने आई।

डेथ रेट ज्यादा : तेरह जिलों के इस राज्य में गुरुवार तक 499 कंटेनमेंट जोन बनाए जा चुके हैं। गांवों में लगातार बढ़ रहे कोरोना के चलते इस बात का अंदेशा बना है कि गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी कहीं इस लहर को मारक न बना दे। प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की दर राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा पहुंच चुकी है। डराने वाली बात ये है कि कोविड डेथ ऑडिट कमेटी के अध्यक्ष के मुताबिक़ कोरोना से होने वाली करीब 50 फीसदी मौतें अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर हुई हैं।
 
कोविड डेथ ऑडिट कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर हेमचंद्र के मुताबिक इन लोगों ने कोरोना संक्रमण के शुरुआती 4 से 5 दिनों के लक्षणों की अनदेखी की या उसका ठीक से इलाज नहीं करवाया और जब तक वो अस्पताल पहुंचे तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जब प्रदेश के अस्पतालों में भर्ती होने की जगह नहीं तो अस्पताल पहुंचने में देरी तो लाजमी ही है। ऐसे में संक्रमण के बढ़ते मामलों को झेलने को अस्पताल और सुविधाओं को बढाकर ऑक्सीजन की सुविधा भी बढ़ाने की महती आवश्यकता है।

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