अब दृष्टिहीनों के लिए बोलने वाली किताबें

रविवार, 16 नवंबर 2014 (12:50 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) अपने सभी पुस्तकालयों में ऐसी विशेष मशीनें लगाने जा रहा है, जो दृष्टिहीन विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित होंगी, क्योंकि इनकी मदद से न सिर्फ उन्हें किताब में उल्लिखित सामग्री सुनने को मिलेगी, बल्कि वे उनसे नोट्स भी तैयार कर सकेंगे। डीयू भारत का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है, जो इस तरह की सुविधा मुहैया कराने जा रहा है।
 
दृष्टिहीनों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ‘इंक्लुसिव प्रिंट एक्सेस प्रोजेक्ट’ तैयार किया गया है। दूसरे देशों से आयात किए गए कई सॉफ्टवेयर के समन्वय से विश्वविद्यालय के ‘इक्वेल अपॉर्च्युनिटी सेल’ ने इस अपनी तरह की अनूठी परियोजना को मूर्तरूप दिया है।
 
इस सेल के विशेष कार्य अधिकारी अनिल अंजेया ने बताया कि कई विश्वविद्यालयों ने दृष्टिहीन छात्रों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न पहलें कीं। किसी ने उनके लिए विशेष कमरे बनाए तो किसी ने उनके लिए वाचक की व्यवस्था की, लेकिन उससे उनकी उतनी मदद नहीं हो पाई। हम उन्हें ठीक वैसा ही माहौल उपलब्ध कराना चाहते हैं, जैसा दूसरे छात्रों को हासिल है।
 
सेल के एक अन्य अधिकारी विपिन तिवारी ने बताया कि हम चाहते हैं कि पढ़ाई के लिए छात्र किसी के मोहताज न रहें और स्वतंत्र रूप से अपना कार्य कर सकें। विदेशों में कुछ विश्वविद्यालयों के पास यह तकनीक है लेकिन भारत में हम पहले हैं, जो छात्रों के लिए इसे मुहैया कराने वाले हैं। इस तकनीक में एक उच्च क्षमता वाला कैमरा ‘लेक्सएयर’ और एक स्कैनर लगाया गया है।
 
उन्होंने बताया कि दृष्टिहीन छात्र ठीक उसी तरह से किताब पकड़ेंगे, जैसे सामान्य छात्र पकड़ते हैं और कैमरा तथा स्कैनर किताब में छपी सामग्री की छवि उतारकर उसे बोलने की तकनीक में बदल देंगे। यह सॉफ्टवेयर किताब की स्कैनिंग, रीडिंग, उसे पीडीएफ में बदलने और अन्य कई कामों में माहिर है।
 
छात्र विभिन्न हिस्सों को बुक मार्क कर सकेंगे और उनके लिए नोट्स बनाने की भी जगह होगी। इस प्रौद्योगिकी में केवल अंग्रेजी और हिन्दी की सामग्री को बोलकर पढ़ा जा सकेगा। यह चित्र और हाथ से लिखी सामग्री को पढ़ने में सक्षम नहीं होगी। (भाषा)

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