कोलकाता की गलियों में नोटबंदी के नफा-नुकसान पर बहस

बुधवार, 22 फ़रवरी 2017 (12:06 IST)
कोलकाता। नोटबंदी के 4 माह बाद फेरीवाले, छोटे व्यापारी और सड़क पर मांगकर गुजर-बसर करने वाले लोगों के बीच इसको लेकर बहस जारी है। यही लोग नोटबंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। केंद्र सरकार ने कहा था कि नोटबंदी का फायदा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलेगा लेकिन इस बात से बुर्रा बाजार क्षेत्र के दिहाड़ी के मजदूर सहमत नहीं हैं।
 
पोस्ता इलाके में दिहाड़ी का काम करने वाले 62 वर्षीय मोहम्मद इरफान ने कहा कि बड़े सेठ आज भी बड़ी गाड़ियां खरीद रहे हैं। सारी दिक्कत तो निचले वर्ग को उठानी पड़ रही है। इरफान ने बताया कि नोटबंदी से पहले वे प्रतिदिन 250 से 300 रुपए कमाया करते थे लेकिन उनकी आमदनी अब घटकर 100 रुपए रह गई है। भीख मांगकर जीवन गुजारने वाली 90 वर्षीय कमला ने बताया कि उन्होंने डर के मारे अपने 500 रुपए के 8 नोट गटर में फेंक दिए। 
 
नोटबंदी के समर्थक इसके फायदे भी बताते हैं। सड़क किनारे खाने-पीने का ठेला लगाने वाले राम भौमिक ने कहा कि नोटबंदी से गरीब और अमीर के बीच की खाई कम हुई है। टैक्सी चालक सुदीप दत्ता ने कहा कि नोटबंदी का फायदा यह रहा कि अब बाजार में कोई भी नकली नोट नहीं बचा है। (भाषा)

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