उल्लेखनीय है कि चुनाव परिणाम आने के एक महीने बाद जैसे-तैसे सरकार तो बन गई है, लेकिन स्थायित्व को लेकर अभी भी असमंजस बना हुआ। भाजपा और शिवसेना ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों के बीच तनातनी हो गई थी। इसी के चलते शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के कवायद शुरू कर दी थी।
लेकिन, ऐन मौके पर देवेन्द्र फडणवीस ने एनसीपी नेता अजित पवार के साथ मिलकर गत शनिवार को शपथ ले ली। हालांकि अचानक हुए इस घटनाक्रम ने सभी को चौंका दिया और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि फडणवीस सदन में बहुमत साबित कर भी पाएंगे या नहीं। क्योंकि भाजपा के पास खुद के सिर्फ 105 विधायक हैं, जबकि बहुमत के लिए 145 विधायकों की जरूरत है।