ऋषिकेश। चारधाम यात्रा को लेकर ऋषिकेश में तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ और पंजीकरण के लिए लंबी लाइनों के चलते लड़खड़ाई व्यवस्था से शासन प्रशासन को खासी किरकिरी का सामना करना पड़ रहा है। ये हालात तब हैं जबकि सीएम धामी बद्रीनाथ व केदारनाथ के लिए 2 कैबिनेट मंत्रियों सुबोध उनियाल व धनसिंह रावत की ड्यूटी भी लगा चुके हैं। बीते रविवार को चारधाम के संबंध में सरकार के मुकम्मल इंतजाम का दावा करते दिखे थे।
लेकिन तीर्थयात्रियों व घोड़ों तथा खच्चरों की बढ़ती मौत के बाद अब तीर्थयात्रियों के पंजीकरण के अभाव में चारधाम दर्शनों से वंचित होना भी मुद्दा बन रहा है। देहरादून के जिलाधिकारी डॉ. आर. राजेश कुमार ने ऋषिकेश में मंगलवार को धामों में जाने के लिए बस और पंजीकरण के इंतजार में भूखे-प्यासे तीर्थयात्रियों से परेशानी पूछी। बस स्टैंड पर राजस्थान से आए यात्रियों के समूह से मुलाकात करने पर जिलाधिकारी को पता लगा कि ये यात्री बस का इंतजाम न होने से यहां अटके हुए हैं।
डीएम ने संभागीय परिवहन अधिकारी समेत यात्रियों के साथ आए उनके एजेंट को बस के इंतजाम की हिदायत भी दी। डीएम ने आरटीओ को कहा कि जिन यात्रियों का रजिस्ट्रेशन हो गया है, उन्हें रवाना कर दिया जाए ताकि अनावश्यक भीड़ न रहे। जिलाधिकारी डॉ. आर. राजेश कुमार ने इन भूखे-प्यासे बैठे लगभग 100 यात्रियों को पेयजल एवं खाद्य सामग्री वितरित की।
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा में भारी भीड़ के बावजूद सबसे बेहतर व्यवस्थाएं व सुविधाएं देने के सरकार के दावों को दोहराते हुए सरकार की पीठ थपथपाई। मुख्यमंत्री का दावा था कि उत्तरकाशी के यमुनोत्री में हुई बस दुर्घटना के मामले में उत्तराखंड सरकार व प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की मध्यप्रदेश तक प्रशंसा हो रही है।
घोड़े व खच्चरों की मौतों को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर : देहरादून से प्राप्त समाचार के अनुसार चारधाम यात्रा मार्गों में घोड़े व खच्चरों की मौत के मामले पर मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल्स ने उत्तराखंड सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिसकी सुनवाई 8 जून को होगी। संस्था का कहना है कि सरकार जानवरों को लेकर झूठ बोल रही है जबकि हकीकत भयानक है। उत्तराखंड में पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने केदारनाथ धाम का दौरा कर वहां मर रहे घोड़े-खच्चरों के बारे में जानकारी ली। सौरभ बहुगुणा ने ट्वीट के जरिए कहा था कि उनके दौरे के बाद हालात में जमीन-आसमान का फर्क आया है।
अब मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल्स ने केदारनाथ यात्रा का जायजा लेने के बाद सरकार पर जो सवाल खड़े किए हैं, उससे मंत्री के दावों की हकीकत बेनकाब हो गई। याचिका में कहा गया है कि केदारनाथ में रोज सैकड़ों की तादाद में घोड़े-खच्चर मर रहे हैं और हैरानी की बात यह है कि इन मौतों को रोकने के लिए सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि बिना रजिस्ट्रेशन के हजारों घोड़े दौड़ रहे हैं। कदम-कदम पर घोड़े व खच्चरों के शव पड़े हुए हैं जिनमें कीड़े पड़े हुए हैं। मरे हुए जानवरों को नदियों में फेंका जा रहा है। जो जानवर यात्रियों को ले जा रहे हैं, उनकी भी हालत ठीक नहीं है। कई की पीठ पर चोट के गहरे निशान हैं और सैकड़ों की तादाद में ऐसे जानवरों से काम लिया जा रहा है, जो किसी भी समय दम तोड़ सकते हैं।
संस्था का दावा है कि घोड़े-खच्चरों में भयानक बीमारी फैल रही है, जो जानवरों से इंसानों को हो रही है। याचिका में घोड़े-खच्चरों की ग्लैंडर टेस्टिंग करवाने की मांग की गई है। संस्था के अनुसार पूरे केदारनाथ मार्ग में बदबू और सड़े हुए जानवरों के शव पड़े हुए हैं। घोड़े-खच्चरों की लीद हो या शव या फिर कूड़ा, सभी को नदियों में बहाया जा रहा है। इसी जल में आगे गौरीकुंड में भी लोग स्नान कर रहे हैं।