धूमधाम से मनाया पहला बिंदेश्वर पाठक दिवस

शनिवार, 15 अप्रैल 2017 (17:41 IST)
नई दिल्ली। वृंदावन की सैकड़ों विधवाओं, कार्यकर्ताओं, अलवर के वंचित समुदायों से अवमुक्त कराई गईं सैकड़ों महिलाओं और सुलभ स्कूल क्लब के छात्रों ने शनिवार को यहां पहला डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक दिवस पूरे धूमधाम से मनाया। 
 
गौरतलब है कि इसी दिन को पिछले साल न्यूयॉर्क शहर ने इस दिवस को डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक दिवस के तौर पर मनाया था, जिसे वहां के मेयर बिल द ब्लासियो ने घोषित किया था। इस सम्मान के जरिए न्यूयॉर्क शहर ने स्वच्छता की दिशा में किए गए डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक के प्रयासों के साथ ही वंचित समुदायों के लोगों को आगे लाने की दिशा में किए गए उनके कार्यों को रेखांकित किया था। इसी सम्मान दिवस की याद में आज दिल्ली के कंस्टीटूशन क्लब एनेक्सी नई दिल्ली में आयोजित एक गरिमापूर्ण समारोह में इस दिवस को मनाया गया। 
 
डॉक्टर पाठक को सस्ती शौचालय तकनीक के आविष्कारक के तौर पर विश्वव्यापी ख्याति मिली है। इस तकनीक के जरिए उन्होंने सैकड़ों सालों से चली आ रही सिर पर मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने की दिशा में बड़ा योगदान दिया है। इसके साथ ही उन्होंने सिर पर मैला ढोने वाले लोगों की जिंदगी को बदल दिया है। ना सिर्फ ऐसे लोगों को कौशल विकास की ट्रेनिंग देकर उनकी जिंदगी की दशा ही बदल दी है, बल्कि उन्हें समाज के उच्चवर्गीय तबके में शामिल करा दिया है। 
 
सिर पर मैला ढोने वाली महिलाएं अब संस्कृत के श्लोक तक पढ़ती हैं और अब वह ब्राह्मण कहलाती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वंचित समुदाय के लोगों के जीवन में इस सकारात्मक बदलाव को लाने में डॉक्टर पाठक ने गांधी के सत्य और अहिंसा को ही हथियार बनाया और बिना किसी हिंसा के समाज में इतना बड़ा परिवर्तन लाने में बड़ी भूमिका निभाई है। न्यूयॉर्क के मेयर ने 14 अप्रैल 2016 को डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक दिवस घोषित करके उनके इन प्रयासों को विश्वव्यापी मान्यता दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया। 
 
सस्ती शौचालय तकनीक के जरिए डॉक्टर पाठक ने स्वच्छता की दिशा में जहां जबर्दस्त काम किया है, वहीं उन्होंने पर्यावरण रक्षा की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया है। इसके जरिए उन्होंने भारतीयों के स्वास्थ्य सुधार में बड़ा योगदान दिया है। डॉक्टर पाठक सुप्रीम कोर्ट की पहल पर वृंदावन, वाराणसी और उत्तराखंड के केदारनाथ की सैकड़ों विधवाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रहे हैं। इसके जरिए उन विधवाओं की जिंदगी में नया उजाला आया है। डॉक्टर पाठक की पहल पर अब ये विधवाएं जहां फैशन शो में कैट-वाक करती हैं, बल्कि होली और दीवाली भी मनाती हैं, जबकि अतीत में उनके लिए यह सब काम वर्जित था। 

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