इस्लामुद्दीन पर मादक पदार्थ नियंत्रण कानून के तहत तीन मामले पहले ही दर्ज किए जा चुके थे, जिनमें से दो में वह जेल की सजा भी काट चुका था लेकिन तीसरे मामले में अदालती कार्रवाई से बचने के लिए ही उसने अपनी पत्नी सलमा बेगम के जरिए कड़कड़डूमा अदालत में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल करवाकर खुद को मृत घोषित करा लिया था।
मृत घोषित किए जाने के बाद उसके खिलाफ मुकदमा बंद कर दिया गया था। इसी बीच उसने अपना नाम बदलकर वाहिद रख लिया। लेकिन अपने गिरोह के लोगो में वह इस्लामउद्दीन के नाम से ही जाना जाता रहा, जिसके कारण पुलिस को उसका सुराग हाथ लग गया।