1984 बैच के आईएएस अधिकारी को धनशोधन रोकथाम कानून, 2002 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ मार्च और सितम्बर 2010 में दो प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं। कुछ दिनों पहले ही उच्चतम न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी पर लगी अंतरिम रोक हटा ली थी।
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा, 'यद्यपि उन्होंने अपने बयान में फिर से विदेश में रखे अपने बैंक खातों और अपने या अपने परिवार के सदस्यों के बैंक खातों से हुए लेन-देन के बारे में गोलमोल उत्तर दिए और सही तथ्यों का खुलासा नहीं किया। इसके चलते उनकी गिरफ्तारी जरूरी हो गई।
एजेंसी ने कहा, 'शर्मा ने जांच अधिकारियों के साथ जिस तरह से व्यवहार किया उससे यह लगता है कि वह वास्तव में पीएमएलए, 2002 की धारा तीन के तहत परिभाषित और कानून की धारा चार के तहत दंडनीय धनशोधन में लिप्त थे।'