देहरादून। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने सोमवार को जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा से रैणी एवं तपोवन क्षेत्र में हुए नुकसान का स्थलीय निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। आपदा ग्रस्त क्षेत्र से लौटते हुए जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट पर मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में रेस्कयू वर्क आईटीबीपी, आर्मी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ एवं स्थानीय पुलिस द्वारा आपसी समन्वय के साथ किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस आपदा में कार्यरत एक विद्युत परियोजना पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है, जबकि तपोवन स्थित एनटीपीसी को भी काफी क्षति पंहुची है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में हुए नुकसान के कारणों की इसरो की इमेजेस के आधार पर एनटीपीसी, टीएचडीसी एवं एसजेवीएनएल के पदाधिकारी भी अध्ययन करेंगे, इनकी एक टीम पैदल भी क्षेत्र को भ्रमण के लिए जाएगी।
उन्होंने कहा कि ऐसी आपदाओं की पूर्व जानकारी के लिए जिन हिल स्टेट में एनटीपीसी आदि के पावर प्रोजेक्ट हैं वहां पर प्रोजेक्ट के साथ ही स्थानीय लोगों के व्यापक हित में अर्लि वार्निंग सिस्टम प्रणाली उपलब्ध कराई जाएगी। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में भारी हिमपात के कारण उत्पन्न हिमस्खलन आदि की घटनाओं की पूर्व में जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी इस त्रासदी में पानी एवं मलबे के तेज बहाव को रोकने में एनटीपीसी बैराज के मजबूत ढांचे ने बड़ा काम किया अन्यथा पानी का यह आवेग राज्य के नीचे के क्षेत्रों में भारी तबाह का कारण बन सकता था। 2013 में जिस प्रकार पानी के बहाव को टिहरी बांध ने रोकने का कार्य किया, उसी तरह इस बैराज ने भी पानी को रोकने का कार्य किया।
उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना में काफी लोग मिसिंग हैं, जिनमें एनटीपीसी के 91 तथा निजी कंपनी के 44 लोग भी शामिल हैं, जितने लोग लापता हैं, उनको तलाशने का कार्य तेजी में किया जा रहा है। अब तक 20 शव बरामद किए जा चुके हैं। क्षेत्र के गांवों के भी कुछ लोग लापता हैं, जिनमें 2 पुलिसवाले भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि मृतक आश्रितों को राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है, जबकि एनटीपीसी के जो कार्मिक लापता हैं, जिनके जीवित होने की उम्मीद कम है, उनके परिवारों को ऊचाहार की दुर्घटना की भांति 20 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि गांव के लापता लोगों की कैसे बेहतर ढंग से मदद की जाए, इसकी भी योजना बनाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि यदि प्रभावित गांव वालों को एनटीपीसी में यदि वे चाहेंगे तो उन्हें काम दिया जाएगा, इसके अतिरिक्त सीएसआर के तहत भी पीड़ितों की मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के टनलों को अभी लोडरों से डिसिल्ट किया जा रहा है, उसमें और तेजी लाए जाने के लिए 5 स्लडी पंपों की व्यवस्था की जा रही है।
इस अवसर पर सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा भी उपस्थित थीं।