किसान आंदोलन: आज ममता से मिलेंगे राकेश टिकैत, इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

बुधवार, 9 जून 2021 (12:54 IST)
आज भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कोलकाता में मुलाकात करेंगे। खबरों की माने तो राकेश टिकैत किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दों को लेकर ममता के साथ बैठक करेंगे। दोनों के बीच केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को तेज करने और सरकार को घेरने की रणनीति पर भी चर्चा होगी।
 
दोपहर 3 बजे होगी मुलाकात : इस मुलाकात से पहले राकेश टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ''मैं आज दोपहर करीब 3 बजे उनसे (ममता बनर्जी) मिलूंगा। हम कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्थानीय किसानों के बारे में बात करेंगे।''
 
जानकारी के लिए बता दें कि राकेश टिकैत ने हाल ही में बंगाल चुनाव के दौरान ममता बनर्जी के लिए चुनाव प्रचार भी किया था और बीजेपी के खिलाफ वोट देने के लिए भी जनता से अपील की थी। भारतीय किसान यूनियन केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनकर्ता धरना देकर बैठे हुए हैं।
 
किसान आंदोलन को ममता का समर्थन : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शुरू से ही किसान आंदोलन के समर्थन में खड़ी है। इतना ही नहीं किसान आंदोलन के पक्ष में वह समय-समय पर अपनी आवाज भी उठाती रही है। ममता के अलावा टीएमसी के कई सांसद भी दिल्ली की सीमा पर पहुंचे थे, जहां किसान पिछले साल नवंबर से धरने पर बैठे हैं।
 
भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने 29 अप्रैल को कहा था कि जब भी सरकार चाहे, किसान संगठन केंद्र के साथ तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चर्चा कानून को निरस्त करने के बारे में होनी चाहिए।
 
2024 चुनाव को लेकर भी टिकैत ने दिया बयान : 2024 के लोकसभा चुनाव के वाराणसी संसदीय सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ममता बनर्जी के चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच राकेश टिकैत ने कहा कि वह स्वयं चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन लोगों को इसके लिए जागरूक करेंगे। टिकैत ने कहा कि नौ जून को बंगाल में किसानों की बैठक है। इसी दौरान बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे।
 
टिकैत ने कहा कि पहले टोहाना के विधायक को जिताने के लिए ट्रैक्टर पर लोग जाते थे , लेकिन अबकी बार लोग ट्रैक्टर पर उनके खिलाफ आ रहे हैं इसलिए ट्रैक्टर ही इस आंदोलन की जान बन गया है।

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