Rajasthan former minister Rajendra Singh Gudha News: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला तेज करते हुए पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने रविवार को कहा कि अगर वह नहीं होते तो गहलोत जेल में होते। लेकिन, उन्हें बर्खास्त करने से पहले सफाई का भी मौका नहीं दिया गया। लगभग रोते हुए गुढ़ा ने बताया कि मुझ पर 50 लोगों ने हमला किया और घूंसे मारे। विधानसभा अध्यक्ष ने भी मुझे बोलने नहीं दिया।
गुढ़ा ने शुक्रवार को विधानसभा में महिला अत्याचार के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरा तो उसी रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। गुढ़ा के पास सैनिक कल्याण (स्वतंत्र प्रभार), होम गार्ड एवं नागरिक सुरक्षा (स्वतंत्र प्रभार), पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग था।
मेरी गलती क्या है? : राजस्थान के पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि लगभग 50 लोगों ने मुझ पर हमला किया, मुझे घूंसे मारे, कांग्रेस नेताओं ने मुझे विधानसभा से बाहर धकेल दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने मुझे बोलने की अनुमति भी नहीं दी। उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए कि मैं भाजपा के साथ हूं। मैं जानना चाहता हूं कि मेरी गलती क्या है? मीडिया से बात करते समय गुढ़ा अपनी 'लाल डायरी' भी दिखा रहे थे।
इससे पहले अपने विधानसभा क्षेत्र में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर राजेंद्र गुढ़ा नहीं होते तो मुख्यमंत्री जेल में होते। एकक 'लाल डायरी' का जिक्र करते हुए गुढ़ा ने दावा किया कि उन्होंने कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग की छापेमारी के दौरान मुख्यमंत्री के निर्देश पर लाल डायरी को सुरक्षित रखा था।
उन्होंने कहा कि अगर आपने (गहलोत ने) मुझसे इस्तीफा देने के लिए कहा होता तो मैं इस्तीफा दे देता...आपको फोन करना चाहिए था और नोटिस देना चाहिए था। गुढ़ा ने कहा कि न्यायाधीश भी कार्रवाई से पहले एक मौका देते हैं।
उन्होंने एक लाल रंग की डायरी का अस्पष्ट जिक्र करते हुए कहा कि गहलोत ने उनसे एक डायरी सुरक्षित रखने को कहा था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के कहने पर उन्होंने डायरी सुरक्षित रख ली थी। उन्होंने यह भी पूछा कि डायरी में आखिर क्या है?
लोकतंत्र शर्मसार : दूसरी ओर, राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि लोकतंत्र शर्मसार हुआ है, विधानसभा अपमानित हुई है। विधानसभा बोलने का मंच है और गुढ़ा को बोलने दिया जाना चाहिए था। मुझे भी नहीं बोलने दिया गया, ये संसदीय परंपराओं की अवहेलना हुई है। (एजेंसी/वेबदुनिया)